स्वस्थ जीवन बिताने के लिए सूर्य से सहायता लेने की बड़ी आवश्यकता है l भगवान भास्कर में इतनी प्रचंड रोगनाशक शक्ति है , जिसके बल से कठिन से कठिन रोग दूर होते हैं l जब से हमने सूर्य रश्मियों का अनादर किया , बंद जगहों में निवास करना सभ्यता में शामिल किया , तब से हमने अपने बहुमूल्य स्वास्थ्य को गँवा दिया l पृथ्वी का केंद्र सूर्य है , इस महत्व को समझकर ही हमारे प्राचीन आचार्यों ने सूर्य प्राणायाम , सूर्य नमस्कार , सूर्य चक्र बेधन आदि अनेक क्रियाओं को धार्मिक स्थान दिया l प्रसिद्ध दार्शनिक न्योची का मत है ---- " जब तक दुनिया में सूरज मौजूद है , तब तक लोग व्यर्थ ही दवाओं की तलाश में भटकते हैं l उन्हें चाहिए कि इस शक्ति , सौंदर्य और स्वास्थ्य के केंद्र सूर्य की और देखें और उसकी सहायता से अपनी असली अवस्था को प्राप्त करें l " गायत्री मन्त्र के देवता सविता देव ( सूर्य ) ही हैं l मनुष्य का अहंकार नकली सूर्य बनाने का दावा करता है लेकिन गायत्री मन्त्र के जप और सविता देव की उपासना से जो विवेक जाग्रत होगा , सद्बुद्धि आएगी वह नकली सूर्य से कभी नहीं आएगी l विज्ञानं और वैज्ञानिक आविष्कारों का अपना महत्व है लेकिन जो शक्ति मानव मन को रूपांतरित कर उसे इनसान बनाये , उच्च अवस्था में पहुंचाए , वह शक्ति भारतीय अध्यात्म में है l
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