17 January 2022
WISDOM -----
जीवन में ' संतोष ' का अर्थ यह नहीं कि हम आगे बढ़ने की कोशिश ही न करें l ' संतोष ' का अर्थ है --- हम आगे बढ़ने की सही रास्ते से भरपूर कोशिश करें , इसके साथ जो ईश्वर ने हमें दिया है उसे अपना सौभाग्य माने , ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हों l ' जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए छल - कपट , धोखा , षड्यंत्र , दूसरे का हक छीनना , साजिश करना जैसे ओछे कार्य में उलझ जाता है तभी से वह स्वयं अपने लिए तनाव और बीमारी मोल ले लेता है l ------ एक व्यक्ति एक संत से बोला ---- " महाराज ! मेरे जीवन में तनाव बहुत है l क्या करूँ ? मेरी कोई इच्छा पूर्ण ही नहीं होती और तनाव बढ़ता जाता है l " संत बोले ---- " बेटा ! रामचरितमानस में तुलसीदास जी लिखते हैं --- " विषय मनोरथ दुर्गम नाना l ते सब सूल नाम को जाना l " अर्थात इस संसार में जितनी भी इच्छाएं हैं , वे सब कांटे के समान हैं l वे जितनी बढ़ती जाती हैं , उतना ही मन पीड़ित होता जाता है l इसलिए इच्छाएं पूरी करने की दौड़ में पड़ने के बजाय जितना है उसमे संतोष करने का प्रयत्न करो तो जीवन स्वत: ही तनाव मुक्त हो जायेगा l "
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