पं. श्रीराम आचार्य जी लिखते हैं ---- " जीवन की अनंत संभावनाएं हैं l हमें अपने विचारों को विधेयात्मक बनाते हुए भावनाओं को पवित्र बनाना चाहिए l सदा औरों के प्रति प्रेमपूर्ण सद व्यवहार करने से हमारे जीवन में भी ख़ुशी आ सकती है l परिस्थिति का समझदारी और बहादुरी के साथ सामना करने पर ही हमारी संकुचित क्षमता का विकास संभव है l " जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं l संत तुकाराम के जीवन का किस्सा है ------- एक बार वे कहीं से एक गणना लाये थे , उनकी पत्नी ने उसे उनकी पीठ पर दे मारा और उसके दो टुकड़े हो गए l एक टुकड़े को उन्होंने अपनी पत्नी के हाथ में थमा दिया और एक को स्वयं चूसने लगे l उन्होंने कहा कि पीठ में लग गई , सो लग गई लेकिन तुमको कितने ठीक तरीके से निशाना मारना आता है l गन्ना मारने की कला कैसी बढ़िया है , एक बार में ही दो बराबर टुकड़े कर दिए l उन्होंने अपनी पत्नी की गलती नहीं देखी , बल्कि उसमे भी अच्छाई ढूंढ ली l सकारात्मक दृष्टिकोण से अनेक समस्याएं आसानी से हल हो जाती हैं l
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