लघु -कथा ------- जंगल में खरगोशों की सभा बुलाई गई l सभा का उद्देश्य अपनी -अपनी पीड़ा व्यक्त करना था l भोजन के अभाव से लेकर शिकारी जानवरों द्वारा द्वारा पीछा करना तक आदि बहुत से विषयों पर चर्चा हुई l अंत में निष्कर्ष यह निकला कि उनकी व्यथा का मूल कारण विधाता ही हैं , जिन्होंने उन्हें इतना छोटा , दुर्बल और असहाय बना दिया है कि वे निरीह माने जाते हैं l सबने निर्णय किया कि ऐसी परिस्थिति में सामूहिक आत्महत्या के अतिरिक्त और कोई विकल्प ही नहीं बचता l इसी संकल्प के साथ वे सब तालाब को चले कि वहां जाकर डूब मरेंगे l तालाब के किनारे मेढ़क बैठे थे , वे खरगोशों को देखकर डर कर भागे l यह देखकर एक समझदार खरगोश बोला ----- " मित्रों ! अब हमें आत्महत्या करने आवश्यकता नहीं है l इस संसार में हमसे दुर्बल अनेकों जीव हैं l हमें विधाता ने जो दिया है , उसी पर संतोष करना चाहिए l " विषम परिस्थितियों में भगवान को कोसने के बजाय उन विशेषताओं पर गर्व करना चाहिए , जिन से सुसज्जित कर भगवान ने हमें मनुष्य रूप के रूप में धरती पर भेजा है l
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