एक दिन नदी से समुद्र ने पूछा ----- " मेरे पास कोई फटकता भी नहीं है और न कोई आदर करता है , पर तुम्हे लोग प्यार करते हैं l इसका क्या कारण है ? " नदी ने कहा ---- " आप केवल लेना ही जानते हैं l जो मिलता है , उसे जमा करते हैं l मैं जो इस हाथ पाती हूँ , उस हाथ आगे बढ़ा देती हूँ l लोग मुझसे जो पाते हैं , उसी के बदले में तो प्यार देते हैं l " जो केवल लेना ही लेना जानते हैं , वे उपेक्षित रह जाते l जिन्हें देना भी आता है , वे सबके प्री प्रियपात्र बनते हैं l
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