पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपने आचरण से संसार को ' सादा जीवन - उच्च विचार का संदेश दिया ---- सादगी का अर्थ केवल खान-पान या सरल जीवन शैली नहीं है , बल्कि यह वास्तव में एक सोच है , क्योंकि इस सोच के कारण ही जीवन को देखने का हमारा नजरिया बदल जाता है l यदि यह नजरिया सीधा -सादा होगा तो फिर ज्यादा झूठ बोलने की , छल - कपट करने , षड्यंत्र करने की आवश्यकता नहीं होगी , फिर जीवन में दूसरों से आगे निकलने की , अपनी महत्वाकांक्षा को उचित - अनुचित किसी भी तरीके से पूरा करने की , दूसरों पर आधिपत्य जमाने की जरुरत भी महसूस नहीं होगी l ' आचार्य श्री लिखते हैं ---- ' आज संसार में बाहरी आकर्षण का प्रभाव इतना अधिक है कि लोग सादगी को अपने जीवन में उतार ही नहीं पाते l आज समाज में सच्चे लोग ढूँढना मुश्किल है और जटिल मनोग्रंथियों से युक्त व्यक्तियों आज बहुतायत है l व्यक्ति की इच्छाएं , महत्वाकांक्षा बहुत बढ़ गई हैं इसलिए जीवन जटिल और तनावग्रस्त है l ' आचार्य जी के सादा जीवन -उच्च विचार के संदेश को न समझ पाने के कारण ही आज संसार में हर दिशा में --परिवार , समाज , राष्ट् और सारे संसार में भीषण रूप से छीना -झपटी , छल -कपट , षड्यंत्र का बोलबाला है l अति की महत्वाकांक्षा और उन्हें अतिशीघ्र पूरा करने की लालसा के कारण ही व्यक्ति आत्महीनता की ग्रंथि से ग्रस्त हो जाता और ऐसे व्यक्ति चाहे जिस भी इकाई में , क्षेत्र में हों , भीतर से अशांत होने के कारण सब तरफ अशांति फैलाते है l सिकंदर , तैमूर लंग जो लंगड़ा था और हिटलर केवल इतिहास के पन्नों में ही नहीं हैं , उनकी सोच लोगों के मनो -मस्तिष्क में समा गई है इसलिए परिवार बिखर रहे हैं , संसार में अशांति है l समस्या इसलिए जटिल है क्योंकि अब प्रकृति भी इस मानव व्यवहार से कुपित हो गई है और कब प्रकृति का क्रोध किस रूप में सामने आ जाये , कोई नहीं जानता l
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