24 August 2022

WISDOM

   ऋग्वेद  में  लिखा  है ---- 'अन्तरिक्ष  और  आकाश  से  भी  परे  वह  परमात्मा  अनंत  धैर्य  वाला  है  l वह  सबसे  अधिक  शक्तिशाली  और  सर्वव्यापक  होकर  भी   निर्दोष  की  रक्षा  और  पापी  को  दण्ड  देता  है  l '---------- बात  उन  दिनों  की  है  जब  चीन  में  ब्रिटेन  का  शासन  था  l  शंघाई  के  एक  गुरूद्वारे  में  आत्मासिंह  नमक  इक  ग्रंथी  रहता  था  l  वह  बहुत  सौम्य  और  चरित्रवान  था  और  ईश्वरीय  विधान  पर  उसकी  अटूट  आस्था  थी  l  उसके  पास  बाबासिंह  नमक  एक  व्यक्ति  अक्सर  आता  था   और  उसकी  पत्नी  से  भी  मिलता , बात  करता  था  l  लोगों  को  उसकी  नियत  पर  शक  था   इसलिए  कई  लोगों  ने  उनके  विरुद्ध  आत्मासिंह  के  कान  भरे , कानाफूसी  की  l  आत्मासिंह  का  कहना  था  --- " मुझे  अपनी  धर्मपत्नी  पर  पूर्ण  विश्वास  है  , इसलिए  मुझे  कुछ  करने  की  आवश्यकता  नहीं  l जो  जैसा  करेगा , वो  वैसा  भरेगा  l "  दैवयोग  से  कुछ  दिन  बाद  बाबासिंह  की  किसी  ने  हत्या  कर  दी  l  पुलिस  ने  कुछ  जांच -पड़ताल  कर  के  आत्मासिंह  को  गिरफ्तार  किया  , मुकदमा  चला  l  आत्मासिंह  अपने  निर्दोष  होने  का   कोई  पुख्ता  प्रमाण पत्र  प्रस्तुत  नहीं  कर  सका   इसलिए  कानून  ने   उसे  फांसी  की  सजा  दे  दी  l   फाँसी  के  लिए  शंघाई  से  जल्लाद  न  मिलने  पर  हांगकांग  से  जल्लाद  बुलाए  गए  l  नियत  समय  पर  फाँसी  प्रारम्भ  हुई  l  गले  में  फांसी  का  फंदा  डालकर  जैसे  ही  नीचे  का  तख्ता  हटाया  गया  ,  एक  जोर  से  धड़ाम  की  आवाज  हुई  , रस्सा  बीच  में  से  टूट  गया   और  आत्मासिंह  फर्श  पर  गिरे  , उन्हें  कोई  चोट  नहीं  आई  l  पदाधिकारी  आश्चर्य चकित  रह  गए  l  मामला  ब्रिटिश  काउन्सिल जनरल  सर जान ब्रेनन  के  पास  पहुंचा  l  विशेषज्ञ  बुलाकर  जांच  कराई  गई  लेकिन  कोई  कारण  नहीं  मिला  कि  रस्सा  कैसे  टूटा  l  दूसरा  रस्सा  मंगाया  गया  ,  उसमे  आत्मासिंह  के  वजन  से   चार  गुना  अधिक  वजन  के  पत्थर  रखकर   रस्से  की  परीक्षा  कर  ली  गई  l  दुबारा  फाँसी  की  व्यवस्था  की  गई  l  इस  बार  बड़े -बड़े  उच्च  पदाधिकारी  भी  उपस्थित  थे  l  जैसे  ही  दुबारा   फंदा  डालकर  लटकाया  गया   ,  फिर  से  धड़ाम  की  आवाज  हुई , रस्सा  टूट  गया  और  आत्मासिंह  को  कोई  चोट  नहीं  आई  l  चीन  में  ब्रिटिश  राजदूत  सर ह्यू नाचबुल  ह्युगेशन   ने  कहा --- " आत्मासिंह  निर्दोष  है ,  उसे  फाँसी  नहीं  दी  जा  सकती  l  परमात्मा  स्वयं  उसके  रक्षक  है  l  "  आत्मासिंह  को  मुक्त  कर  दिया  गया  l  

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