31 August 2022

WISDOM ----

  " मनुष्य  ईश्वर  की  संतान  है  l  असीम  सत्ता  पर  गहरी  आस्था  और  विश्वास  से  हमें  ऊर्जा  मिलती  है  l  "   ईश्वर  विश्वास  ही  आत्मविश्वास  है  और  आत्मविश्वास  के  कमी ,  भय  और  परिस्थितियों  से  तालमेल  न  कर  सकने  के  कारण  ही  आज  मनुष्य  विपन्न  परिस्थिति  में  है l  धनी  हो  या  निर्धन असंतोष  और  तनाव  से  घिरा  हुआ  है  l  स्वामी  विवेकानंद  ने  अपने  शिष्य  को  एक  कथा  सुनाई ------ एक  तत्वज्ञानी  अपनी  पत्नी  से  कह  रहे  थे  कि  संध्या  आने  वाली  है  l  काम  समेट  लो  l  एक  सिंह  कुटी  के  पीछे   यह  सुन  रहा  था  ,  उसने  समझा  कि  संध्या  कोई  बड़ी  शक्ति  है  जिससे  डर  कर   यह  निर्भय  रहने  वाला  ज्ञानी  भी   अपना  समान  समेटने  को  विवश  हुए  हैं  l  सिंह  चिंता  में  डूब  गया ,  उसे  संध्या  का  डर  सताने  लगा  l  पास  के  घाट  का  धोबी  दिन  छिपने  पर  अपने  कपड़े  समेट  कर  गधे  पर  लाने  की    तैयारी  करने  लगा  l  देखा  तो  गधा  गायब  है  ,  उसे  ढूँढने  ने  देर  हो  गई  l  रात  घिर  आई  और  पानी  बरसने  लगा  l  धोबी  को  एक  झाड़ी  में  खड़खड़ाहट  सुनाई  दी  ,  उसने  समझा  गधा  है  l  तो  लाठी  से  उसे  पीटने  लगा ---धूर्त  यहाँ  छिपकर  बैठा  है  l  सिंह  की  पीठ  पर  लाठियां  पड़ीं  तो  उसने  समझा   यही  संध्या  है  ,  सो  डर  से  थर -थर  कांपने  लगा  l  अँधेरे  में  धोबी  उसे  घसीट  लाया  और  कपडे  लादकर  घर  चल  दिया  l  रास्ते  में  दूसरा  सिंह  मिला  , उसने  अपने  साथी  की  दुर्गति  देखी  तो  पूछा ---यह  क्या  हुआ  ?  तुम  इस  प्रकार  लदे  क्यों  फिर  रहे  हो  l  '  सिंह  ने  कहा --- संध्या  के  चंगुल  में  फँस  गए  हैं  l  यह  बुरी  तरह  पीटती  है  और  इतना  वजन  लादती  है  l  सिंह  को  कष्ट  देने  वाली  संध्या  नहीं  उसकी  भ्रान्ति   थी  जिसके  कारण  धोबी   को  कोई  बड़ा  देव -दानव  समझ  लिया   और  भार  एवम  प्रहार   बिना  सिर  हिलाए  स्वीकार  कर  लिया  l  अपना  स्वरुप  भूल  जाने  के  कारण  मनुष्य  की  भी  ऐसी  ही   दुर्गति  है  l  

No comments:

Post a Comment