आज परिवारों में , समाज में , सम्पूर्ण संसार में जो अशांति है , उसका प्रमुख कारण है -- अहंकार l अहंकारी चाहे जिस भी क्षेत्र में हो , वह अपनी हुकूमत चाहता है और हुकूमत भी इस हद तक कि वह चाहता है कि जैसा वह सोचता है , उसी तरह सब सोचें l लोगों के मन पर भी अपना नियंत्रण चाहता है लेकिन मन को , किसी के ह्रदय को जितना आसान नहीं है , उसे तो आत्मिक प्रेम और संवेदना से जीता जा सकता है , जिसका सर्वत्र अभाव है l व्यक्ति को चाहे जितने बंधन में जकड़ दो लेकिन मन तो आजाद है l मन और सोच की आजादी के कारण ही संसार में बड़े कत्लेआम हुए l अहंकार का रोग बड़ा भयानक है l अहंकारी चाहे छोटे से परिवार में हो या किसी संस्था में हो या कहीं भी हो , उसकी चाहत यही है कि हमारी हर बात को सिर झुका कर स्वीकार करो , यदि कष्ट भी होता है तो ' उफ़ ' न करो , चुपचाप सहो , वरना --------- l अब वक्त बदल रहा है , यह सब कैसे संभव है ! सबको बदलना पड़ेगा l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपने एक लेख में लिखा है ------ " भ्रष्ट चिन्तन और दुष्ट आचरण के कारण जो अनर्थ उपजे हैं , उन्हें कोई दावानल भस्मसात कर के रख दे , यह संभव है l ऐसा समय असाधारण रूप से कष्टकारी भी हो सकता है l विपत्तियाँ और बढ़ सकती हैं l संकट और भी अधिक गहरा सकते हैं l ------ दैवी आपदा ही नहीं , दुर्बुद्धि का भस्मासुर अभी चारों ओर महाविनाश मचाता दीख रहा है l लगता है कि सारे कुएं में ही भांग मिला दी गई है , जिसे पीकर सभी उनमत्त होते दिखाई देते हैं l युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे , आत्महत्याओं का दौर चल पड़ा है l मनोचिकित्सकों को विचित्र प्रकार की व्याधियाँ चुनौती दे रही हैं और सारे प्रयासों के बावजूद मानवी स्वास्थ्य कहीं भी नियंत्रण में आता नहीं दीखता l ------ -- लेकिन यह भी निश्चित है कि उज्जवल भविष्य का सृजन भी इन्ही दिनों होगा , युग निर्माण होगा l "
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