समस्याएं हम सब के जीवन में हैं , दुःख , तकलीफों से कोई नहीं बचा है लेकिन यदि हम अपना द्रष्टिकोण सकारात्मक रखें , जो कुछ हमने खोया है , उसका दुःख मनाने के बजाय , जो हमारे पास है , उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें तो हम तनाव , बीमारी , निराशा , चिंता जैसे कष्टों से स्वयं को बचा सकते हैं l समय का पहिया घूमता रहता है , धैर्य रखना चाहिए l एक कथा है ---- एक सेठ जी थे , बहुत धन -वैभव था , किसी चीज की कोई कमी नहीं थी l एक दिन उनकी दुकान में आग लग गई , करोड़ों का नुकसान हो गया l रईसी से रहने की आदत बन जाये , फिर चाहे आमदनी कम हो जाये ,ठाठ -बाट से रहने की आदत जाती नहीं l सेठ और उनका पूरा परिवार बहुत तनाव , चिंता व दुखों से घिर गया l सेठ जी बीमार हो गए , महंगे अस्पताल का खर्चा , उधार भी चढ़ने लगा l किसी भी तरह स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा था l एक दिन एक साधु महाराज वहां आए , उन्होंने सारी स्थिति को समझा और कहा --पहली बात कि आप हर प्रकार से सुखी व्यक्ति का कुरता पहन लें तो स्वस्थ हो जायेंगे l फिर उन्होंने परिवार के सदस्यों को समझाया कि अनावश्यक खर्च कम करो , सादगी से रहो ,कुछ समय बाद पुन: स्थिति अच्छी हो जाएगी l साधु के कहे अनुसार सेठ ने अपने नौकर को सुखी व्यक्ति की तलाश में भेजा , सेवक ने जब आकर सब का हाल बताया तो सेठ को समझ में आया कि लोगों के जीवन बड़े -बड़े दुःख हैं , कष्ट हैं , औरों के मुकाबले उनका कष्ट तो बहुत कम है l इतने में ही सेवक एक व्यक्ति को पकड़ लाया जो हर तरह से सुखी और प्रसन्न था l सेवक ने बताया कि यह खेत में गाना गा रहा था और हल चला रहा था , इसकी पत्नी रोटी , प्याज और नमक ले आई दोनों ने प्रेम से खाना खाया और दोनों ही बहुत खुश थे l सेठ जी ने उस व्यक्ति से निवेदन किया कि वह अपना कुरता दे जिसे पहन कर वे स्वस्थ हो जाएँ l तब उसने कहा कि वो तो खेत में काम करता है ,उसके पास कुरता खरीदने के लिए पैसे ही नहीं हैं l जो भगवान ने दिया उसमे हम खुश हैं l अब सेठ और उसके परिवार को समझ में आया कि अभावों के बावजूद वह अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट है l जीवन में प्रसन्नता संचित सम्पदा से नहीं , अपना द्रष्टिकोण बदलने से आती है l
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