25 September 2022

WISDOM ---

    समस्याएं    हम  सब  के  जीवन  में  हैं  ,  दुःख , तकलीफों  से  कोई  नहीं  बचा  है  लेकिन  यदि  हम  अपना  द्रष्टिकोण  सकारात्मक  रखें , जो  कुछ  हमने  खोया  है , उसका  दुःख  मनाने  के  बजाय  , जो  हमारे  पास  है  , उसके  लिए  ईश्वर  को  धन्यवाद  दें   तो  हम  तनाव ,  बीमारी  ,  निराशा  , चिंता  जैसे  कष्टों  से  स्वयं  को  बचा  सकते  हैं  l  समय  का  पहिया  घूमता  रहता  है  ,  धैर्य  रखना  चाहिए  l   एक  कथा  है ----  एक  सेठ जी  थे  ,  बहुत  धन -वैभव  था  ,  किसी  चीज  की  कोई  कमी  नहीं  थी  l  एक  दिन  उनकी  दुकान  में  आग  लग  गई ,  करोड़ों    का  नुकसान  हो  गया  l  रईसी  से  रहने  की  आदत  बन  जाये ,  फिर  चाहे   आमदनी  कम  हो  जाये  ,ठाठ -बाट  से  रहने  की  आदत  जाती  नहीं  l  सेठ  और  उनका  पूरा  परिवार  बहुत  तनाव  , चिंता  व  दुखों  से  घिर  गया  l  सेठ जी  बीमार  हो  गए  , महंगे  अस्पताल  का  खर्चा ,  उधार  भी  चढ़ने  लगा  l   किसी  भी  तरह  स्वास्थ्य  लाभ  नहीं  हो  रहा  था  l  एक  दिन  एक  साधु  महाराज  वहां  आए  , उन्होंने  सारी    स्थिति  को  समझा  और  कहा  --पहली  बात  कि  आप  हर  प्रकार  से  सुखी  व्यक्ति  का  कुरता  पहन  लें   तो  स्वस्थ  हो  जायेंगे  l  फिर  उन्होंने  परिवार  के  सदस्यों  को  समझाया  कि  अनावश्यक  खर्च  कम  करो ,  सादगी  से  रहो   ,कुछ  समय  बाद  पुन:  स्थिति  अच्छी  हो  जाएगी  l  साधु  के  कहे  अनुसार  सेठ  ने  अपने  नौकर  को   सुखी  व्यक्ति  की  तलाश  में  भेजा  ,  सेवक  ने  जब  आकर  सब  का  हाल  बताया  तो  सेठ  को  समझ  में  आया  कि  लोगों  के  जीवन  बड़े -बड़े  दुःख  हैं , कष्ट  हैं ,  औरों  के  मुकाबले  उनका  कष्ट  तो  बहुत  कम  है  l   इतने  में  ही  सेवक  एक  व्यक्ति  को  पकड़  लाया  जो  हर  तरह  से  सुखी  और  प्रसन्न  था  l  सेवक  ने  बताया  कि  यह  खेत  में  गाना  गा  रहा  था  और  हल  चला  रहा  था  , इसकी  पत्नी  रोटी , प्याज  और  नमक  ले  आई  दोनों  ने  प्रेम  से  खाना  खाया   और  दोनों  ही  बहुत  खुश  थे  l  सेठ जी  ने   उस  व्यक्ति    से  निवेदन  किया  कि  वह  अपना  कुरता  दे  जिसे  पहन  कर  वे  स्वस्थ  हो  जाएँ  l  तब  उसने  कहा  कि  वो  तो  खेत  में  काम  करता  है  ,उसके  पास  कुरता  खरीदने  के  लिए  पैसे  ही  नहीं  हैं  l  जो  भगवान  ने  दिया  उसमे  हम  खुश  हैं  l  अब  सेठ  और  उसके  परिवार  को  समझ  में  आया  कि  अभावों  के  बावजूद  वह  अपने  जीवन  से  पूर्णतया  संतुष्ट  है  l   जीवन  में  प्रसन्नता  संचित  सम्पदा  से  नहीं  ,  अपना  द्रष्टिकोण  बदलने  से  आती  है  l  


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