25 September 2022

WISDOM ---

   पुराण  में  कथा  है  कि  परशुराम जी  ने  शिवजी  से  शिक्षा  प्राप्त  की  l  शिक्षा  पूर्ण  होने  पर  शिवजी  ने  अपने  प्रिय  शिष्य  को  ' परशु ' उपहार  में  दिया  l  संसार  में  फैले  हुए  अधर्म  के  उन्मूलन  के  लिए   यह  उपहार  दिया  और  कहा --- " केवल  दान , धर्म , जप -तप , व्रत , उपवास  ही   धर्म  के  लक्षण  नहीं  हैं  l  अनीति  से  लड़ने  का  कठोर  व्रत  लेना  भी  धर्म  साधना  का  एक  अंग  है  l  शिवजी  का  आशीर्वाद  पाकर   परशुराम जी  ने   अनाचार  विरोधी  महान  अभियान  की  तैयारी  की  l  उनका  कहना  था  कि  अनीति  ही  हिंसा  है   और   अत्याचार , अन्याय , अनीति  के  विरुद्ध  खड़े  होना  मानवता  का  चिन्ह  है  l '   अनाचारी  का  मुकाबला  अकेले  नहीं   किया  जा  सकता  ,  यह  बात  हर  युग  में  सत्य  है  अत:  उन्होंने  जन -सहयोग  से   अत्याचारियों  के  विनाश  का  व्यापक  अभियान  चलाया  और  इक्कीस  बार  उन्होंने    अत्याचारियों , अहंकारियों  का  उन्मूलन  कर   पृथ्वी    की  सुरक्षा  की  l  उनका  कहना  था  कि  किसी  के  पास  कितनी  ही  बड़ी  शक्ति  क्यों  न  हो  , जनता  की  संगठित  सामर्थ्य  से  कम  ही  रहती  है  l  आज  संसार  में  शांति  के  लिए  परशुराम जी  जैसी  शक्ति  की  जरुरत  है   l  हर  युग  की  समस्याएं  भिन्न -भिन्न  हैं  लेकिन  उनका  निदान  संगठित  होकर  ही  किया  जा  सकता  है  l   आज  हमारी  कृषि , कला , साहित्य  , सम्पूर्ण  पर्यावरण  ही  प्रदूषित  हो  गया  है  l   कृषि  में  रसायन  घुल  जाने  से  लोग  स्वस्थ  नहीं  हैं  , प्रतिरोधक  शक्ति  कम  हो  गई  है , ,कला  और  साहित्य  के  प्रदूषण  से  लोगों  के  चरित्र  में  गिरावट  आई  है  l  अब  जागरूक  होने  की  जरुरत  है  l  आज  सारा  संसार  एक  मंच  पर  है  ,  जिसके  पास  शक्ति  है , सम्पदा  है  वही  सारी  दुनिया  पर  अपनी  हुकूमत  चलाना  चाहता  है   ऐसे  में  अपने  अस्तित्व  को  बचाना  चुनौती  है  l  जागरूक  और  ईमानदार  होकर  ही  हम  अपनी  कृषि , शिक्षा , चिकित्सा , कला  और  संस्कृति  को  पुनर्जीवित  कर  सकते  हैं  l  

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