समय परिवर्तनशील है लेकिन मनुष्य की मानसिक प्रवृत्तियां ---लोभ , लालच , महत्वाकांक्षा , कामना------ आदि इनमें परिवर्तन नहीं होता l एक समय था जब ब्रिटेन का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था , अनेक देश गुलाम थे l साम्राज्यवादी नीति की आलोचना हुई , धीरे -धीरे सब देश आजाद हो गए l लेकिन स्वयं को श्रेष्ठ समझने का अहंकार और गुलाम बनाने की प्रवृत्ति नहीं गई , वैज्ञानिक प्रगति के साथ उसका रूप बदल गया l अब किसी देश को गुलाम नहीं बनाना है , उसके विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि , शिक्षा , चिकित्सा , मनोरंजन आदि पर कब्ज़ा कर के उसकी पहचान को मिटाना है जैसे जो विश्व के अग्रणी देश हैं वे समझते हैं कि उनके बीज , उनकी खाद , उनकी , शिक्षा , चिकित्सा आदि सर्वश्रेष्ठ है तो पूरी दुनिया उनको माने अपने पुरातन काल से चले आ रहे तरीकों को छोड़ दे l जब देशी तरीके से , देशी बीजों से कृषि उत्पादन होता था तब मटर , टमाटर , गोभी आदि कच्चा भी खा लो तो फायदा होता था लेकिन अब ! उसमे ऐसी रासायनिक खाद , कीटनाशक आदि हैं कि कच्चा खा ले तो बीमार हो जाये l पका कर भी खाओ तब भी उनके रसायन शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं l इसी तरह चिकित्सा --आयुर्वेदिक दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता लेकिन ऐलोपथिक दवा के साइड इफेक्ट होते हैं , एक बार व्यक्ति बीमार हो जाये तो कभी भी पूर्ण स्वस्थ नहीं होता , एक बीमारी ठीक हुई तो उसके बाद दूसरी , फिर तीसरी बीमारी झेलते हुए ही व्यक्ति चला जाता है l इसी तरह हर क्षेत्र में अपनी पहचान खोने से संस्कृति पर संकट आ जाता है l जब जागरूकता होगी तभी समय फिर बदलेगा l
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