26 September 2022

WISDOM -----

   हमारे  आचार्य  और  ऋषियों  का  कहना  है  कि  -- धन  मानव  जीवन  के  लिए   आवश्यक  है  किन्तु   धर्म  से  रहित  धन  व्यर्थ  है  ,  हानिकारक  है  , रोग -शोक  को  आमंत्रित  करता  है   l ' इस  कथन  की  सत्यता  को  आज  संसार  में  देखा  जा  सकता  है   l   भ्रष्टाचार , बेईमानी , शोषण  करना , दूसरों  का  हक  छीनना ,  अनैतिक  साधनों  से  धन  कमाना  ये  सब  आसुरी  प्रवृत्ति  के  लक्षण  हैं   l   जब  देवत्व  की  तुलना  में  असुरता  बलशाली  हो  जाती  है   तब  उसका  परिणाम  युद्ध , दंगे , तनाव , बीमारी , महामारी , आत्महत्या , अकाल मृत्यु   आदि  नकारात्मक  घटनाओं  में  वृद्धि  के  रूप  में  देखने  को  मिलता  है  l   पुराणों  में  एक  कथा  है ----- एक  बार  ऋषि  अगस्त्य  की  पत्नी  लोपामुद्रा  ने  उनसे  कुछ  आभूषण  की  मांग  की  l  ऋषि  ने  कहा  उनके  कई  शिष्य  राजा  हैं  ,वे  उनसे   धन  मांग  कर  लाएंगे  लेकिन  वही  धन  लाएंगे  जो  धर्म पूर्वक  कमाया  गया  हो   और  जिससे  राजकोष  की  हानि  न  हो  l  उस  समय  ईमानदारी  बहुत  थी  , वे  अनेक  राजाओं  के  पास  गए  , उनके  राजकोष  में  जो  धन  था  वह  तो  धर्म पूर्वक  अर्जित  था  ,  लेकिन  ऋषि  अगस्त्य  उसमे  से  धन  लेते  तो  राजकोष  में  घाटा  आ  जाता  l  अत:  उन्होंने  धन  लेने  से  इनकार  कर  दिया  और  वापस  लौटने  लगे  l  रास्ते  में  उन्हें   इल्वन   नमक  एक  असुर  मिला   l  उसने  महर्षि  का  अभिप्राय  जाना   तो  प्रार्थना  की  कि  मेरे  पास   विपुल  सम्पदा  है  ,  आप  जितनी  चाहे  ले  जा  सकते  हैं  l  ऋषि  , इल्वन  के  महल  में  पहुंचे   और  हिसाब  जांचना  शुरू  किया   तो  देखा  वहां  सम्पदा  तो  अपार  थी   लेकिन  सब  कुछ  अनीति  से , शोषण  से  , दूसरों  को  कष्ट  देकर  उपार्जित  थी  l  ऋषि  ने  उसे  लेने  से  मना  कर  दिया  और  खाली  हाथ  लौट  आए   और  लोपामुद्रा  से  बोले --- " भद्रे  !  धर्म  से  कमाई  करने  और  उदारतापूर्वक  उचित  खर्च  करने  वालों  के  पास  कुछ  बचता  नहीं  l  अनीति  से  कमाने  वालों  के  पास  ही  विपुल  धन  पाया  जाता  है  ,  लेकिन  उसके  लेने  से  हमारे  ऋषि  जीवन  में  बाधा  पड़ेगी  और  अशांति  होगी  l "  लोपामुद्रा  ने    इस  सत्य  को  समझा  और  सादगी  के  साथ  सुख पूर्वक  जीवन  जीने  में  ही  गर्व  का  अनुभव  किया  l  

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