26 September 2022

WISDOM ----

   उद्यान  में  भ्रमण  करते  -करते  सहसा  राजा  विक्रमादित्य   महाकवि  कालिदास  से  बोले ,---" आप  कितने  प्रतिभाशाली  , मेधावी  हैं  l  साहित्य  के  क्षेत्र  में  आपकी  विद्वता  का  कोई  मुकाबला  नहीं  l  भगवान  ने  आपका  शरीर  भी  बुद्धि  के  अनुसार  सुन्दर  क्यों  नहीं  बनाया  ? "  कालिदास जी  राजा  के  व्यंग्य  को  समझ  गए  l   उस  समय  तो  वे  कुछ  भी  नहीं  बोले  l  राजमहल  आकर  उन्होंने  दो  पात्र  मंगवाए  --- एक  मिटटी  का ,  एक  सोने  का  l  दोनों  में  जल  भर  दिया  l  कुछ  देर  बाद   कालिदास  ने  राजा  से  पूछा  --- "  अब  बताएं  राजन  ! किस  पात्र  का  जल  अधिक  शीतल  है  ? "  विक्रमादित्य  ने  उत्तर  दिया --- " मिटटी  के  पात्र  का  l "  तब  कालिदास  बोले --- " जिस  प्रकार  शीतलता  पात्र  के  बाहरी  आधार  पर  निर्भर  नहीं  है  ,  उसी  प्रकार  प्रतिभा  भी  शरीर  की  आकृति  पर  निर्भर  नहीं  है  l  राजन  ! बाहर  के  सौन्दर्य  को  नहीं  ,  सद्गुणों  को  देखा  जाना  चाहिए   l  आत्मा  का  सौन्दर्य  ही  प्रधान  होता  है  l  विद्वता  और  महानता  का  संबंध  शरीर  से  नहीं ,  आत्मा  से  है  l "

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