26 September 2022

WISDOM ----

 प्राचीन  काल  में  हमारे  ऋषियों  ने    समाज  में  संतुलन  बनाये  रखने  के  लिए   जो  सबसे  महत्वपूर्ण  कार्य  किया  था  , वह  था ----- आश्रम  व्यवस्था  l  इसके  पीछे  उद्देश्य  यही  था  कि  65 -70  वर्ष  की  आयु  तक  व्यक्ति  सांसारिक  जीवन  जी  लेता  है  ,  इसके  बाद  स्थान  खाली  करो  और  नई  पीढ़ी  को  खिलने  का  मौका  दो  l  इसी  विचार  को  ध्यान  में  रखकर    निश्चित  आयु  पूर्ण  कर  लेने  पर  रिटायर   करने    की  व्यवस्था  की  गई   है  l   इसके  मूल  में  एक  कारण  और  भी  था   कि  सांसारिक  प्राणी  होने  के  कारण    लोभ , लालच , कामना , वासना , तृष्णा , महत्वाकांक्षा , अहंकार  आदि   सभी  में  कम  या  ज्यादा  होते  हैं  l  अब  यदि  व्यक्ति  की  सन्मार्ग  पर  चलने  की  प्रवृत्ति  नहीं  है ,  नैतिक  मूल्यों  का  ज्ञान  नहीं  है  तो  यही  भावनाएं   आयु  बढ़ने  के  साथ -साथ  विकृत  रूप  ले  लेती  हैं  जिसके  दुष्परिणाम  सारे  समाज  को  भोगने  पड़ते  हैं  l  युद्ध , दंगे , बड़े  अपराध  , अनैतिक , गैर क़ानूनी  कार्य  आदि  के  प्रमुख  परिपक्व  आयु  के  ही  लोग  होते  हैं  l   संसार    की  आसुरी    तत्वों  से  रक्षा  के  लिए  ही  ऋषियों  ने  कहा  था  कि  एक  आयु  के  बाद  ईश्वर  का  नाम  लो , अपने  मन  को  विकारों  से  मुक्त  करने  का  प्रयास  करो   ताकि  आगे  की  यात्रा  शांतिपूर्ण  हो  सके  l  कलियुग  में  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  है  इस  कारण  सभी  क्षेत्रों  में  संतुलन  बिगाड़  गया  है  l  

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