चीन का एक अमीर च्यांग भेड़ पालने का धंधा करता था l एक बार उसने दो लड़के नौकर रखे और चराने के लिए भेड़ें बाँट दीं l देखने पर पता चला कि भेड़ें दुबली भी हो गईं और कुछ मर भी गईं l अमीर ने चरवाहों को जिम्मेदार ठहराया और जाँच की कि किस कारण इतनी हानि हुई l पता लगा कि दोनों अपने -अपने व्यसनों में लगे रहे l एक को जुआ खेलने की आदत थी , जब भी दाँव लगता जुए में जा बैठता l भेड़ें कहीं -से -कहीं जा पहुँचती और भूखी -प्यासी कष्ट पातीं l यही बात दूसरे की थी , वह पूजा -पाठ का व्यसनी था l वह भेड़ों पर ध्यान न देता और अपनी रूचि के काम में लगा रहता l दोनों पकड़े गए और न्याय के लिए कन्फ्यूशियस के सामने प्रस्तुत किए गए l दोनों के कारणों में भेद था , पर कर्तव्यपालन की उपेक्षा करने के लिए दोनों समान रूप से दोषी थे l न्यायधीश ने दोनों को समान रूप से दंड दिया और कहा --- " कर्तव्य भाव के बिना जो किया जाता है वह व्यसन है , व्यसन में जुआ खेला या पूजा की l कर्तव्य की तो उपेक्षा की l उसी का दंड दिया गया है l " 'कर्तव्य ही धर्म है l '
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