मानव जीवन अनमोल है , ईश्वर ने सबको कोई न कोई विभूति अवश्य दी है l किसी के पास धन -वैभव है , किसी के पास अच्छा स्वास्थ्य , किसी के पास बुद्धि , विद्या ----- l जो कुछ मनुष्य को मिला है , वह उसका महत्त्व नहीं समझता और दुर्बुद्धि के कारण उसका दुरूपयोग करता है ----- एक बार पांच असमर्थ , अपंग लोग एकत्र हुए और कहने लगे कि यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो हम परमार्थ के कार्य करते , पर क्या करें ! अँधा बोला ---- मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं बिगाड़ दिखाई देता , उसे सुधारने में लग जाता l लंगड़े ने कहा --- मेरे पैर होते तो दौड़ -दौड़ कर भलाई के कार्य करता l निर्बल ने कहा --- मेरे पास ताकत होती तो अत्याचारियों को मजा चखा देता l निर्धन ने कहा --- मेरे पास धन होता तो दीन -दुखियों के लिए लुटा देता l मूर्ख ने कहा --- विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता चारों ओर विद्या ही विद्या दिखाई देती l वरुण देव ने उनकी बातें सुनी और सच्चाई परखने के लिए उन्होंने सात दिन के लिए उन्हें सशर्त आशीर्वाद दिया l जैसे ही रूप बदला , पाँचों के विचार भी बदल गए l अंधे ने कामुकता की वृत्ति अपना ली l लंगड़ा घूमने निकल पड़ा l धनी ठाठ -बाट एकत्र करने में लग गया l बलवान दूसरों को सताने लगा l विद्वान् ने सबको उल्लू बनाना शुरू कर दिया l वरुण देव लौटे तो देखा वे स्वार्थ सिद्धि में लगे थे l देवता नाराज हुए और वरदान वापस ले लिए l उन्हें जो अनमोल वक्त मिला था वह बीत गया , अब पछताने से क्या होता है ?
No comments:
Post a Comment