5 October 2022

WISDOM -----

  एक  नदी  किनारे  शिव मंदिर  था  l  वहीँ  पास  के  घाट  पर  धोबियों  का  पत्थर  भी  पड़ा  था  ,  जिस  पर  धोबी  अपने  कपड़े  पटककर  धोते  थे  l  मंदिर  में  प्रतिष्ठित  शिवलिंग  और  धोबी  का  पत्थर  , हजार  वर्ष  पहले  एक  ही  थे  l  नदी  के  जल   के  बहाव   ने  दोनों  को  अलग -अलग कर  दिया  और  काल क्रम  ने  एक  को  शिवलिंग  और  दूसरे  को  धोबी  का  पत्थर  बना  दिया  l  धोबी  का  पत्थर  आत्महीनता  का  अनुभव  कर  दुःखी  रहता  था  l  शिवलिंग  को  उसकी  आत्मव्यथा  का  बोध  था  l  वह  उससे  बोला  ---- " मित्र  ! तुम्हारा  दुःख  निरर्थक  है  l  यह  ठीक  है  कि  मैं  अपने  समीप  आने  वालों  को  शांति  प्रदान  करता  हूँ  ,  किन्तु  तुम  तो  निर्विकार  भाव  से   हर  किसी  का  मैल   धोते  हो  l  तुम्हारी  साधना  मुझसे  कहीं  बढ़कर  है  l  सत्य  तो  यह  है  कि  मेरे  पास  आने  की  प्रथम  कसौटी  तुम्ही  हो  l "   शिवलिंग  के  ये  मधुर  वचन  सुनकर  धोबी  घाट  का  पत्थर  गदगद   हो  उठा  ,  उसे  अपना  महत्त्व  समझ  में  आया  और  आत्महीनता  दूर  हुई  l 

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