भारतीय तत्ववेत्ताओं का कहना है कि मानव के बंधन और दुःख उसके अतीत के गलत कार्यों व कर्मों के स्वाभाविक परिणाम हैं l यदि इस जीवन में शुभ और उचित कर्म निष्ठापूर्वक किए जाएँ तो भविष्य में उनका शुभ फल प्राप्त होने की पूर्ण संभावना है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं --- " मनुष्य का जीवन एक खेत है , जिसमें कर्म बोए जाते हैं और उन्ही के अच्छे -बुरे फल काटे जाते हैं l जो अच्छे कर्म करता है , वह अच्छे फल पाता है , बुरे कर्म करने वाला बुराई ही समेटता है l ' आचार्य श्री लिखते हैं --- कर्म करना मनुष्य के हाथ में है लेकिन उसका फल कब और कैसे मिलेगा यह काल निश्चित करता है l कर्मों का इच्छानुसार फल प्राप्त करना हो तो प्रयत्न के अतिरिक्त धैर्य की भी आवश्यकता होती है l " यदि आज हम कोई नेक कर्म कर रहे हैं तो आज या कल में या कुछ ही दिनों में हमको उसका सुफल नहीं मिल जायेगा , ईश्वर तराजू में तोलकर न्याय करते हैं , हम निरंतर सत्कर्म करें और ईश्वरीय चमत्कारों को महसूस करें l एक कथा है ----- ' बंदरों का एक दल आम के बाग में निवास करता था l बन्दर जब भी आम तोड़ने का प्रयास करते तो आम तो कम ही हाथ लगते , पर बाग के रखवालों के पत्थर ज्यादा झेलने पड़ते l तंग आकर बंदरों के सरदार ने एक दिन सभी बंदरों की सभा बुलाई और उसमें घोषणा की कि ' आज से हम लोग अपना अलग बाग लगाएंगे और उसमे आम के पेड़ लगाएंगे l इससे रोज -रोज के झंझट से मुक्ति मिलेगी l ' सब बंदरों को यह बात जंच गई और सबने आम की एक -एक गुठली ली और जमीन में गड्ढा खोद कर बो डाली l सब बंदरों में प्रसन्नता की लहर व्याप्त हो गई कि अब शीघ्र ही हर बन्दर आम के एक पेड़ का स्वामी होगा l बंदरों में धैर्य नहीं था , कुछ ही घंटे गुजरे थे कि बंदरों ने जमीन खोदकर गुठलियाँ निकाल कर देखना शुरू किया कि उनमें से पेड़ निकले या नहीं l थोड़ी ही देर में सारा बाग उजाड़ गया l
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