9 October 2022

WISDOM ----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' आकस्मिक  विपत्ति  का  सिर  पर  आ  पड़ना   मनुष्य  के  लिए  बहुत  दुखदायी  है  l  इससे  उसकी  बड़ी  हानि  होती  है  ,  किन्तु  उस  विपत्ति  की  हानि  से   अनेकों  गुनी  हानि  करने  वाला  एक  और  कारण  है  ,  वह  है  विपत्ति  में  घबराहट  l  विपत्ति  कही  जाने  वाली   मूल  घटना  चाहे  वह  कैसी  बड़ी  क्यों  न  हो  ,  किसी  का  अत्यधिक  अनिष्ट  नहीं  कर  सकती  ,  परन्तु  विपत्ति  की  घबराहट  , ऐसी  पिशाचिनी  है  कि  वह  जिसके  पीछे  पड़  जाती  है  , उसके  गले  से  खून  की  प्यासी  जोंक  की  तरह  चिपक  जाती  है   और  जब  तक  उस  मनुष्य  को   पूर्णतया  नि:सत्य  नहीं  कर  देती  ,  तब  तक  उसका  पीछा  नहीं  छोड़ती  l  "    सामान्यत:  यही  देखा  जाता  है  कि  थोड़ी  सी  भी  परेशानी  आने  पर  हम  अपना  धैर्य  खो  बैठते  हैं   और  समस्या  का  समाधान  खोजने  के  बजाय  घबराहट  में  उस  समस्या  को  और  अधिक  बढ़ा  देते  हैं  l  धैर्य  और  ईश्वर विश्वास  जरुरी  है  l     एक  कथा  है --------  एक  भैंस  थी --बड़ी  उपद्रवी  l  रस्सा  तुड़ाकर  भाग  जाती  थी   और  जिस  खेत  में  घुस  जाती  ,  उसी  को  कुचल  कर  रख  देती  l  पकड़ने  वालों  की  भी  वह  अच्छी  खबर  लेती  l  एक  दिन  तो  वह  ऐसी  हो  गई  कि  किसी  की  पकड़  में  नहीं  आ  रही  थी  l  हैरान  लोगों  के  बीच  से  एक  साहसी  लड़का  निकला  l  सिर  पर  उसने  हरी  घास  का  गट्ठर  रख  लिया   और  उपद्रवी  भैंस  की  तरफ  सहज  स्वभाव  से   आगे  चलता  चला  गया  l  ललचाई  भैंस   घास  खाने  के  लिए  आगे  बढ़ी  ,  लड़के  ने  उसके  आगे  गट्ठा  डाल  दिया   और  मौका  मिलते  ही  उछलकर   उसकी  पीठ  पर  जा  बैठा  l  डंडे  से  पीटते  हुए  वह  उसे  बाड़े  में  ले  आया   l  लोगों  ने  जाना  कि  आवेश  भरे  प्रतिरोध  से  भी  बढ़कर   उपद्रवी  तत्वों  को  काबू  में  लाने  के  लिए  कई  बार  दूरदर्शी  नीतिमत्ता  अधिक  कार्य  करती  है  l  

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