फूलों से लदे गुलाब के पौधे को चिंतामग्न देखकर पास में उगे आम के पौधे ने उससे इसका कारण पूछा l गुलाब ने कहा --- " आज तो मैं फूलों से लदा हूँ , पर वह पतझड़ दूर नहीं , जब मुझ पर एक भी पत्ता शेष न होगा l आज जो मेरे सौन्दर्य की प्रशंसा करते थकते नहीं , कल वे मेरी ओर देखेंगे भी नहीं l क्या यह कम चिंता की बात है ? " इतना कहकर गुलाब के पौधे ने हताशा से सिर झुका लिया l आम का पौधा बोला --- " मित्र ! कल के पतझड़ की चिंता करने के बजाय तुम उसके बाद पुन: लौटने वाले वसंत के विषय में क्यों नहीं सोचते l मुझे देखो , अभी मुझे वृक्ष बनने में वर्षों लगेंगे, पर मैं उसी आशा में निरंतर मुदित बना रहता हूँ l " हमारी सोच सकारात्मक हो l हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है l
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