7 November 2022

WISDOM ----

   महाभारत  के  विभिन्न  प्रसंग  पाप  कर्म  और  उनके  परिणाम  को  बताए  हैं  l  यही  नहीं  अत्याचारी  और  अन्यायी  का  समर्थन  करने  वाले  चाहे  भीष्म  पितामह  और  कर्ण  ही  क्यों  न  हो  ,  उनके  अंत  को  भी  बताते  हैं  l  एक  प्रसंग  है  अश्वत्थामा  का  ,  यदि  उसके  द्वारा  किए  गए   महान  पाप  का  परिणाम  कोई  समझे  तो  शायद  युद्ध , आतंक  जैसी  घटनाएँ  समाप्त  हो  जाएँ  l  ---महाभारत  का  अंत  हुआ  ,  पांडव  पक्ष  के  सभी  लोग  निश्चिन्त  होकर  शिविर  में  सो  रहे  थे  ,  तब  अश्वत्थामा  ने  वहां  भयानक  आतंक  मचाया  ,  अनेक  वीरों  को  सोते  में  कुचलकर  मार  डाला  और  शिविर  में  आग  लगा  दी  जिसमे  द्रोपदी  के  पांच   पुत्र  जो  बहुत  छोटे  थे  उनका  भी  अंत  हो  गया  l  इससे  भी  उसका  जी  नहीं  भरा  तो  उसने  एक  तिनके  को  अभिमंत्रित  कर  के   अभिमन्यु  की  पत्नी  उत्तर  के  गर्भ  की  ओर   फेंका  जिससे  पांडवों  के  वंश   का  समूल  नाश  हो  जाये  l  तब  भगवान  कृष्ण  ने   उस  गर्भस्थ  शिशु  की  रक्षा  की  l  अश्वत्थामा  जंगल  में  भाग  गया  ,  भीम  ने  उसे   ढूंढ़कर  भगवान  कृष्ण  के  सामने  प्रस्तुत  किया   l  तब  भगवान  ने  कहा  --- इसे  मृत्यु  दंड  नहीं  दो  l   इसके  माथे  पर  जो  मणि  है  उसे  निकाल  दो  l  भीम  ने  वह  मणि  निकाल  दी  जिससे  उसके  मस्तक  पर  घाव  हो  गया   और  वह  रिसने  लगा  l  भगवान  ने  कहा   --यह  इस  घाव   को  लिए  युगों  तक  भटकता  रहेगा  l  पूर्वज  कहा  करते  थे   कि  अचानक  यदि  पास  से   यदि  कोई  भयानक  बदबूदार  कोई  निकल  गया  तो  समझो  वह  अश्वत्थामा  था   l   आज  युद्ध  में   भयानक  बम  आदि  से  कितने  निर्दोष  प्राणी  , छोटे -छोटे  बच्चे , महिलाएं , गर्भस्थ  शिशु   आदि  मारे  जाते  हैं  l  यदि  उक्त  प्रसंग  की  गहराई  को  समझें   तो  संभवतः  जीवन  की  राह  बदल  जाए  l  

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