मनुष्य शरीर होने के नाते काम . क्रोध , लोभ , मोह , ईर्ष्या , द्वेष , महत्वाकांक्षा , लालच आदि बुराइयाँ सभी में थोड़ी बहुत होती हैं लेकिन यदि किसी एक बुराई की अति हो जाये तो उसका अंत बुरा होता है l इसी तथ्य को समझाने वाली एक कथा है ---- एक आम को पेड़ से बहुत मोह था l दूसरे आम तो पककर अन्यत्र चले गए l लोगों के काम आ गए और गुठली से नए पौधे बनकर बढ़ चले l लेकिन वह मोहग्रस्त आम पत्तों की आड़ में छिप गया l छोड़ कर जाने का उसका मन हुआ ही नहीं l पेड़ पर न बौर रहा , न साथी l न कोयल की कूक न भौरों का गुंजन l पत्ते भी उसकी अवज्ञा करने लगे l छोड़ना ठीक है या पकड़े रहना उचित है --- इस असमंजस का कोई निराकरण न हो सका l संशय ने कीड़े की आकृति बनाई और उसके पेट में जा घुसा l कुछ दिन बाद देखा गया कि , वह आम नहीं रह गया l कीड़े ने उसे भीतर से खोखला बनाया l धूप ने सुखाकर घिनोना बना दिया l हवा के झोंके ने स्थिति बदली और कूड़े के ढेर ने अपने घर शरण दी l
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