लघु -कथा ---- 1. एक संत छोटे से गुरुकुल का सञ्चालन करते थे l एक दिन वे पास के रास्ते से एक राहगीर को पकड़ लाये और शिष्यों के सामने उससे प्रश्न किया कि यदि तुम्हे सोने की अशर्फी से भरी थैली मिल जाये तो तुम क्या करोगे ? वह आदमी बोला --- " तत्क्षण उसके मालिक का पता लगाकर उसको वापस कर दूंगा , अन्यथा राजकोष में जमा करा दूंगा l " संत ने राहगीर को विदा किया और शिष्यों से कहा --- " ये आदमी मूर्ख है l " शिष्य बड़े हैरान हुए कि संत ये क्या कह रहे हैं l संत ने फिर दूसरे राहगीर को बुलाकर वही प्रश्न दोहराया l दूसरे राहगीर ने उत्तर दिया -- " मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं मुद्रा लौटाने के लिए मालिक को खोजता फिरूं , मूर्ख नहीं हूँ l " जब वह चला गया तो संत ने कहा --- यह व्यक्ति शैतान है l शिष्य बड़े हैरान हुए कि आखिर संत क्या चाहते हैं l अबकी बार संत तीसरे राहगीर को लाए और उससे वही प्रश्न पूछा l उस राहगीर ने बड़ी सज्जनता से उत्तर दिया --- " महाराज ! अभी तो कुछ कहना मुश्किल है l इस मन का क्या भरोसा , कब धोखा दे जाए l यदि परमात्मा की कृपा रही और सद्बुद्धि बनी रही तो लौटा दूंगा l " संत ने कहा --ये आदमी सच्चा है l इसने अपनी डोर परमात्मा को सौंप दी , ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में कभी असफल नहीं होते l "
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