एक बार एक नाव में एक गणितज्ञ यात्रा कर रहा था l उस नाव में वह और मांझी दो ही सवार थे l अपनी विद्वता की धाक जमाने के लिए गणितज्ञ ने माँझी से पूछा --- " तुमने कभी गणित पढ़ा है ? " माँझी ने कहा --- " नहीं , मैंने कभी नहीं पढ़ा l " गणितज्ञ बोला --- " तब तो तुम्हारी चार आने जिदगी बेकार चली गई l " उसने फिर पूछा --- " तुमने भूगोल तो पढ़ा ही होगा ? " माँझी ने कहा --- " नहीं बाबूजी ! भूगोल का क्या मतलब , मैं ये भी नहीं जनता l " सुनकर गणितज्ञ बोले ---- ' तब तो तुम्हारी और चार आना जिन्दगी बेकार चली गई l " माँझी चुप रहा , क्या कहता ! कुछ देर बाद देव योग से बड़ा जोर का तूफ़ान आया और नाव लड़खड़ाने लगी l नाव सँभालते हुए नाविक ने गणितज्ञ से पूछा -- " बाबूजी ! आपको तैरना तो आता होगा " गणितज्ञ घबराकर बोला --- " नहीं मैंने तो कभी तैरना नहीं सीखा l " अब नाविक बोला --- " गणित और भूगोल न जानने के कारण भले ही मेरी आठ आना जिन्दगी बेकार चली गई , परन्तु तैरना नहीं जानने के कारण तो आपकी पूरी जिन्दगी ही जा रही है l नाव का पार लगना मुश्किल है l आप तैरना जानते तो बच जाते l " अब गणितज्ञ ने महसूस किया कि कि जो समय पर काम आ जाए , वही सच्चा ज्ञान है l ज्ञान की उपयोगिता प्रत्येक व्यक्ति के लिए परिस्थिति व समय के अनुसार ही तय होती है l
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