18 February 2023

WISDOM ---

   विनोबा  भावे  की  एक  पुस्तक  है --- ' चिरयौवन  की  साधना  '  -- इसमें  एक  श्लोक  की  व्याख्या  करते  हुए  वे    हनुमान जी  को  चिरयुवा   कहते  हैं  l  अनीति  के  विरुद्ध  संघर्ष  के  कारण   यह  संज्ञा  उनने  दी  है  l  वे  कहते  हैं  कि   मात्र  हनुमान जी  ही  चिरयुवा  हैं   और  कोई  नहीं  ,  वे  बल  के  देवता  हैं   l  वे  लिखते  हैं ---"  कुम्भकरण  और  रावण  भी  बड़े  बलशाली  थे  ,  पर  दोनों  ने  अपने  बल  को  कामनाओं  की  पूर्ति  के  लिए   प्रयुक्त  किया  l    बाली  भी   अत्यंत  बलशाली  था  , उसने  रावण  तक  को  परस्त  कर  दिया  था  , मप्र  कामवासना  के  वशीभूत  हो  रावण  और  बाली  दोनों  का  ही  बल  व्यर्थ  हो  गया   l  लेकिन  हनुमान जी  ने   अपने  निष्काम  बल  से  सारी  लंका  उजाड़  दी   और  सुग्रीव  के  कहने  पर  श्रीराम  से  बाली  का  वध  कराया  l  "  भगवान  श्रीराम  के  प्रति  उनका  समर्पण   और  निष्काम  भाव  के  कारण  ही   उनमे  वह  शक्ति  थी   कि  समुद्र  पार  कर  सके  और  लंका  को  तहस -नहस  कर  दिया  l   आज  के  युवाओं  के  लिए  वे  प्रेरणा  हैं  l  श्रीमद् भगवद्गीता  में  भगवान  ने  कहा  है  ---आसुरी  बल  की  तुलना  में  भगवत्ता  का  बल  ज्यादा  है   l  जब  यह  बल  दूसरों  की  रक्षा  में  ,  समाज  के  पीड़ितों  ,  आपदा  से  त्रस्त  लोगों  को  राहत  देने  में  नियोजित  होता  है   तब  वहां  बल -सामर्थ्य  के  रूप  में  परमात्मा  स्वयं  विद्यमान  हैं  l  

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