17 February 2023

WISDOM ----

   आंधी  ने  शीतल  बयार  से  कहा --- " अरी  बहन !  ये  तुम  क्या  धीरे -धीरे  बहती  हो   l  मुझे  देखो न,  मैं  जब  आवेग  के  साथ  चलती  हूँ   तो  पेड़ -पौधे  काँपते  हैं  , बड़े -बड़े  भवन  थरथराते  हैं , सब  अपने  बचाव  में   इधर -उधर   भागते  हैं  l  जिन्दगी  ऐसे  जीनी  चाहिए  जिसका  सब  लोग  लोहा  माने  और  हमसे   डरें  l "   शीतल  बयार  ने  नम्रता  से  उत्तर  दिया ---- " आँधी  दीदी  !  मुझे  तो  इस  धीमी  चाल  में  ही  आनंद  आता  है  l  इसमें  किसी  को  कष्ट  नहीं  होता   और  मैं  जिसको  छू  कर  जाती  हूँ , उसके  चेहरे  पर  एक  शांति  की  रेखा  छोडती  हुई  जाती  हूँ  l  दूसरों  के  सुख  में  ही  मेरे  जीवन  का  सुख  है  l  "    आवेगपूर्ण  जीवन  आँधी  की  तरह   स्वयं  और  दूसरों  के  कष्ट  का  कारण  बनता  है  l  

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