1. असुरों ने अपने बुद्धि कौशल से इक्कीस बार देवताओं को हराया और हर बार वे इन्द्रासन पर प्रतिष्ठित हुए l इतने पर भी देर तक उस स्थान पर स्थिर न रह सके और हर बार उन्हें स्वर्ग छोड़ने पर विवश होना पड़ा l देवर्षि नारद ने ब्रह्मा जी से पूछा ---- " तात ! विजयी होने पर भी असुर इन्द्रासन पर अपना अधिकार क्यों न रख सके ? " विधाता ने कहा ---- " वत्स ! बल द्वारा ऐश्वर्य को प्राप्त तो किया जा सकता है , पर उसका उपभोग केवल संयमी ही करते हैं l संयम की उपेक्षा करने वाले असुर जीतने पर भी इन्द्रासन का उपभोग कैसे कर सकतें हैं l "
2 . मंगोलिया में चांगशेन नाम का एक न्यायधीश रहता था , कभी किसी से रिश्वत नहीं लेता था l एक दिन उसके एक धनी मित्र ने उससे अपने पक्ष में कुछ काम कराने के लिए उसे अशर्फी की एक थैली भेंट की और कहा --- " हमारे आपके सिवाय इस बात को कोई तीसरा न जान सकेगा l इस थैली को रखिए और मेरा काम कर दीजिए l " चांगशेन ने कहा --- " मित्र , यह मत कहो कि कोई नहीं देखता l धरती देखती है , आकाश देखता है और सबका मालिक परमेश्वर देखता है l "
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