पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " जीवन सुख -दुःख का संयोग व सम्मिश्रण है l प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख -दुःख धूप -छाँह के समान सतत परिवर्तित होते रहते हैं l सुख का पल सहज है लेकिन दुःख का पल अति कठिन होता है , इससे भागा नहीं जा सकता , भोगना तो पड़ता ही है l यदि सकारात्मक ढंग से स्वीकार कर लिया जाये तो दुःख इन्सान को बहुत कुछ देने के लिए आता है l " जब भी जीवन में दुःख आए , बुरा समय आए तो सर्वप्रथम हमें यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि यह हमारे ही इस जन्म में या पिछले किसी भी जन्म में किए गए गलत कर्मों का परिणाम है या इस बात की भी पूरी संभावना है और ऋषियों का कहना भी है कि हमारे पिछले जन्मों की आध्यात्मिक प्रगति को देखते हुए ईश्वर हमें इस जन्म में अध्यात्म पथ पर और ऊँचाइयों पर पहुँचाने के लिए विभिन्न कष्टों और दुःख की चुनौतियों से गुजार कर , हमारी परीक्षा लेकर हमें खरा सोना बनाना चाहते हैं l विधि का विधान तो विधाता ही जानते हैं हमें आचार्य श्री ने जीवन जीने की कला सिखाई और बताया कि बुरे समय का प्रबंधन कैसे किया जाए कि इसे सहने योग्य बनाया जा सके ------ " 1 . बुरे समय में चुप रहना सीखो l आचार्य श्री कहते हैं --- दुःख के समय में , बुरे समय में वाणी का प्रयोग न्यूनतम कर देना चाहिए l बुरे समय में व्यक्ति इतनी घुटन और असहजता अनुभव करता है कि उसकी अभिव्यक्ति वाणी के क्रूर प्रयोग के रूप में होना स्वाभाविक है l वह अपनी पीड़ा को , दरद को बंटाना चाहता है , पर इस दुनिया का दस्तूर है कि कोई किसी की पीड़ा को सुनना और बंटाना नहीं चाहता l बुरे समय में व्यक्ति अनर्गल प्रलाप करता है l स्वयं को निर्दोष साबित कर के अपनी वेदना का दोषारोपण औरों पर मढ़ता है l तर्कहीन प्रलाप से बात और उलझ जाति है , उसी पर मनोदोष और गलतियों को उड़ेल दिया जाता है l समस्या सुलझने के स्थान पर और उलझ जाती है , दुःख और बढ़ जाता है l इसलिए चुप रहे , अपने दुःख को केवल ईश्वर से ही कहे l आज के युग में विश्वास करने लायक कोई भी नहीं है l 2 . दुःख और कष्ट के समय अपना कर्तव्य पालन करने के साथ अपने इष्ट का , अपने भगवान का निरंतर स्मरण करे l प्रभु की भक्ति ने ही भक्त प्रह्लाद को हर विपरीतताओं और षड्यंत्रों से बचाए रखा l आचार्य श्री कहते हैं --- गायत्री मन्त्र के देवता सूर्य देव हैं जो सबके पूज्य हैं इसलिए जितना हो सके गायत्री मन्त्र का जप अवश्य करें l ऐसा करने से भीषण बाधाएं भी टल जाती हैं l
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