आज संसार में अनेक बीमारियाँ हैं , उनके उपचार के लिए हर तरह की चिकित्सा उपलब्ध है l लेकिन इन सब बीमारियों , दुर्घटनाओं को जन्म देने वाली जो सबसे बड़ी बीमारी है , वह है --तनाव l हमारी रोजमर्रा की जो जिन्दगी है उसमें कहीं कोई कमी है जो तनाव को जन्म देती है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- रोजमर्रा की जिंदगी में यदि सबसे ज्यादा किसी की उपेक्षा होती है , तो वह है --अंतरात्मा --- यह हम सबके जीवन का सार है l औसत आदमी अपनी इन्द्रिय लालसाओं को तृप्त करने , अपने अहं को प्रतिष्ठित करने , ईर्ष्या , द्वेष , संदेह आदि कुभाव के कारण अपनी अंतरात्मा की आवाज को नहीं सुनता , अपनी ही अंतरात्मा का सम्मान नहीं करता l आचार्य श्री कहते हैं ---आम इनसान अपनी जिंदगी को आधे -अधूरे ढंग से जीता है , दुनिया के सामने झूठी नकली जिंदगी जीता है l वह भय के कारण , समाज के डर की वजह से , समाज में अपने अच्छे होने का नाटक करता है , परन्तु समाज की ओट में चोरी छिपे अनेकों बुरे काम कर लेता है l अपने मन में बुरे ख्यालों व ख्वाबों में रस लेता है l वह इस सत्य को अनदेखा करता है कि ईश्वर सड़क , चौराहों और कमरे की बंद दीवारों के भीतर भी है l यहाँ तक कि हमारे अंतर्मन , हमारे विचार , भावनाएं सब पर ईश्वर की नजर है l हमारे मन के तार ईश्वर से जुड़े हैं l जो इस सत्य को जानते -समझते हैं वे सरलता से अपना जीवन जीते हैं , उनका जीवन एक खुली किताब होता है , जहाँ तनाव की कोई जगह ही नहीं है l
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