एक व्यक्ति के मरने का समय आया तो स्वर्ग से देवदूत उसे लेने पहुंचे और बोले --- " चलिए ! हम आपको स्वर्ग ले जाने आए हैं l " उसने विनती की और बोला --- " हे देवदूतों ! आप कृपा करें , मेरे कुछ जरुरी कार्य शेष हैं , कृपा कर के मुझे एक वर्ष और जीने का अवसर दें l " उसके पुण्य कार्यों को देखते हुए देवदूतों ने कहा --- " ठीक है ! हम एक वर्ष बाद आयेंगे l " अब वह व्यक्ति यह सोचकर निश्चिन्त हो गया कि उसे तो मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलेगा इसलिए उसने इस एक वर्ष में खूब मौज -मस्ती की , कोई पुण्य के कार्य नहीं किए , जीवन भर की अधूरी इच्छाएं पूरी करने में व्यस्त हो गया l देखते -देखते एक वर्ष बीत गया l एक वर्ष बाद उसे लेने यमदूत आए और बोले --- " चलो ! हम तुम्हे नरक ले जाने आए हैं l " वह व्यक्ति नरक का नाम सुनकर घबराया और बोला --- " मेरा स्थान तो स्वर्ग में नियत था , आप भूल कर रहे हैं l " यमदूत बोले --- " उस समय था , लेकिन इस एक वर्ष में तुमने कोई पुण्य नहीं किया और जो पिछले पुण्य थे वे सब इस एक वर्ष में तुमने भोग -विलास का जीवन जी कर समाप्त कर दिए इसलिए अब तुम्हारी बारी पाप भोगने की है l " आचार्य श्री कहते हैं --- 'पापों को एकत्रित कर स्वर्ग की कामना मत करो l सन्मार्ग पर चलो और सत्कर्म की पूंजी एकत्रित करते चलो तो धरती पर ही स्वर्ग जैसी सुख -शांति प्राप्त होगी l '
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