जब मनुष्य स्वयं को भगवान मानने लगता है , कर्मफल और पुनर्जन्म को नहीं मानता , ऐसा व्यक्ति हिरण्यकश्यप की तरह अपने -पराये सभी को उत्पीड़ित करता है l छोटे से लेकर बड़े स्तर तक आज संसार में ऐसे लोगों की ही भरमार है l महाभारत की कथा का संसार में प्रचार -प्रसार अवश्य होना चाहिए ताकि संसार कर्मफल को समझे l महाभारत का एक पात्र है ---अश्वत्थामा l जब दुर्योधन युद्ध भूमि में घायल पड़ा था , उसे अफ़सोस था कि वह किसी भी पांडव को विशेष रूप से भीम को पराजित नहीं कर सका तब अश्वत्थामा ने दुर्योधन से कहा वह उसे पांडवों के सिर लाकर उसे देगा l आमने -सामने के युद्ध में तो पांडवों को पराजित करना असंभव था इसलिए रात्रि के समय जब सब पांडव आदि शिविर में सो रहे थे तब उसने शिविर में चुपचाप प्रवेश किया l भगवान श्रीकृष्ण तो अन्तर्यामी थे वह उसके आने के पूर्व ही पांडवों को शिविर से बाहर ले गए , उन्होंने द्रोपदी के पांचों पुत्रों से भी चलने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया l अँधेरे की वजह से अश्वत्थामा देख नहीं सका और पांडवों की जगह सोये हुए द्रोपदी के पाँचों पुत्रों के सिर काटकर ले गया l घायल दुर्योधन ने उससे कहा कि वह उसे भीम का सिर दे ताकि वह उसे ही कुचलकर अपना प्रतिशोध ले सके l जब अश्वत्थामा ने उसके हाथ में एक सिर दिया तब दुर्योधन ने देखा कि यह तो बहुत कोमल सिर है , यह भीम का सिर नहीं हो सकता l दुर्योधन ने उन पांचों सिर को हाथ में लेकर देखा , उसे बहुत अफ़सोस हुआ उसने कहा ---' अश्वत्थामा यह तुमने कैसा जघन्य कार्य किया , उफ़ ! ये तो द्रोपदी के पांच पुत्र हैं , बदले की आग में यह क्या कर दिया ! दुर्योधन ने तो पछतावे के साथ अंतिम साँस ली लेकिन प्रकृति ने अश्वत्थामा को क्षमा नहीं किया l भीम ने अश्वत्थामा को पकड़कर भगवान श्रीकृष्ण के सामने प्रस्तुत किया और कहा कि इसे मृत्यु दंड मिलना चाहिए l तब द्रोपदी ने कहा --- जैसे मैं पुत्र वियोग में दुःखी हूँ वैसे ही इसकी माता भी दुःखी होगी , इसे छोड़ दो l तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा --इसने जो जघन्य कर्म किया है , उसे इसकी सजा अवश्य मिलनी चाहिए , उन्होंने भीम से कहा --इसके माथे पर जो मणि है उसे निकाल लो l मणि निकल जाने से उस स्थान पर कभी न भरने वाला घाव हो गया , जिसमें से हमेशा मवाद बहता था बदबू आती थी l हजारों वर्षों तक यह ऐसे ही भटकता रहेगा l पुराने लोग कहा करते थे कि यदि अचानक कहीं तेज बदबू आने लगे तो समझो कि अश्वत्थामा वहां से निकल गया l यह प्रसंग लोगों को जागरूक करने के लिए है कि युद्ध , दंगे और बदले की भावना के कारण बच्चों , महिलाओं और निर्दोष प्राणियों को मत सताओ , सोते हुए , नि:शस्त्र लोगों की हत्या मत करो ! प्रकृति में क्षमा का प्रावधान नहीं है l केवल अपराध करने वाला ही नहीं , उसका साथ देने वाले भी ईश्वर के क्रोध से बच नहीं सकते l
No comments:
Post a Comment