विधाता ने स्रष्टि की रचना की l पेड़ -पौधे , पशु -पक्षी , वनस्पति की रचना की l मनुष्य की रचना करते समय उन्होंने उसे बुद्धि दी l विधाता ने उसे यह बुद्धि इस विश्वास पर दी कि वह ईश्वर की बनाई इस स्रष्टि को और अधिक सुन्दर बनाएगा l लेकिन संसार के सुख -भोग और विविध आकर्षणों ने मनुष्य को स्वार्थी बना दिया l बुद्धि होने के कारण मनुष्य में अपने ज्ञान का अहंकार तो था ही , अब उस अहंकार ने स्वार्थ और महत्वाकांक्षा से दोस्ती कर ली इसका परिणाम हुआ कि मनुष्य की बुद्धि , दुर्बुद्धि में बदल गई l अब स्थिति इतनी विकट हो गई कि मनुष्य ही मनुष्य से भयभीत है l अब जंगली जानवरों का भय नहीं है l जंगली जानवरों से तो फिर भी सुरक्षा संभव है लेकिन दुर्बुद्धिग्रस्त इस संसार में कब किसका मास्क उतर जाये , उसका असली रूप सामने आ जाये , कोई नहीं जानता l कई बातों में जानवर मनुष्य से ज्यादा समझदार हैं l जानवर इसलिए श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे छल -कपट नहीं जानते , किसी को धोखा नहीं देते l वे सिर्फ प्रेम की भाषा जानते हैं और नि;स्वार्थ प्रेम के सामने अपनी हिंसक वृत्ति भी छोड़ देते हैं l एक कथा है ----- जंगल में एक शिकारी के पीछे बाघ पड़ गया l घबराकर शिकारी एक पेड़ पर चढ़ गया l उसी वृक्ष पर एक रीछ भी बैठा था बाघ को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था , वह भूखा था इसलिए पेड़ के नीचे बैठकर वह रीछ या मनुष्य के नीचे उतरने का इंतजार करने लगा l बहुत देर हो गई तब बाघ ने धीरे से रीछ से कहा ---- " यह मनुष्य हम दोनों का शत्रु है l तू इसे धक्का मार l मैं इसे खाकर चला जाऊँगा और तेरा जीवन बच जायेगा l " रीछ ने कहा ---- " नहीं , यह मेरा धर्म नहीं है l इसने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा , और वैसे भी मैं ऐसे गिरे हुए कार्य नहीं करता l " अब बाघ ने शिकारी से कहा --- " वह रीछ को धक्का मार दे तो उसकी जान बच जाएगी l " शिकारी बहुत खुश हुआ और अपनी दुष्प्रवृत्ति के कारण चुपचाप रीछ के पीछे जाकर उसे पीछे से धक्का दे दिया l गिरते -गिरते पेड़ की एक डाल रीछ की पकड़ में आ गई l अब बाघ ने रीछ से कहा ---:देखा , जिस मनुष्य की तूने रक्षा की , वही तुझे मारने को तैयार हो गया l अब तू बदला ले और इसे धक्का मार l : रीछ ने कहा ---- " नहीं ! मैं ऐसे कायरतापूर्ण कार्य नहीं करता l वह भले ही अपने धर्म से विमुख हो गया हो , लेकिन मैं ऐसा नीचता का कार्य नहीं करूँगा l " मनुष्यों में भी अनेक परोपकारी और भावनाशील हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत है और वे उन सिद्धांतों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करते l
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