विजय दशमी का पर्व इस सत्य की बार -बार गवाही देता है कि हर अत्याचारी , आततायी और कुकर्मी का अंत अवश्य ही होता है l रावण मायावी था , तंत्र विद्या का ज्ञाता और महान तांत्रिक था l उसने अपने अहंकार और दंभ प्रदर्शन के लिए अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया इसलिए उसका अंत करने के लिए स्वयं भगवान श्रीराम को इस धरती पर आना पड़ा l तंत्र विद्या का प्रयोग आदिकाल से ही इस संसार में हो रहा है और ये तांत्रिक अपने इष्ट देवी -देवताओं से शक्ति प्राप्त कर इस विद्या का घोर दुरूपयोग करते हैं l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- " सामर्थ्य के संग जब अहंकार जुड़ जाता है , तो विनाश होता है और जब सामर्थ्य के संग संवेदना जुड़ती है तो विकास होता है l " बाबा गोरखनाथ जी के समय का प्रसंग है ----- उस समय तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या का दुरूपयोग कर भोले -भाले इनसानों को भटका रहे थे और अपनी तंत्र विद्या के ऐसे जघन्य और वीभत्स प्रयोग कर रहे थे जिससे मानवता कराह उठी थी l इस कारण मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों की रक्षा के लिए बाबा गोरखनाथ जी इन महा भ्रष्ट तांत्रिकों को सबक सिखा रहे थे l इन तांत्रिकों ने स्वयं को बचाने के लिए अपनी आराध्या एवं इष्ट माँ चामुंडा देवी की प्रार्थना की l देवी चामुंडा प्रकट हुईं और क्योंकि तांत्रिक उनके भक्त थे इसलिए उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए माँ चामुंडा ने बाबा गोरखनाथ जी पर खड्ग उठा लिया l गोरखनाथ जी ने कहा ---- " माता ! प्रत्येक इनसान अपने भाग्य से प्राप्त सुख -दुःख को भोगता है परन्तु ये तांत्रिक अपनी विद्या के बल पर लोगों को निरर्थक कष्ट दे रहे हैं l यह न्यायोचित नहीं है और न ही धर्म है l जो भी ऐसा दुष्कर्म करेगा उसको हम अवश्य दण्डित करेंगे l " लेकिन देवी चामुंडा अपने भक्तों को दिए वचन से बद्ध थीं अत: उन्होंने गोरखनाथ जी के ऊपर भीषण प्रहार किया l बाबा गोरखनाथ महान तपस्वी थे और स्वयं तंत्र विद्या में पारंगत थे और समाज में फैली तंत्र की विकृति को दूर कर शुद्ध सात्विक और लोकोपयोगी तंत्र विद्या की स्थापना करना चाहते थे l इनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ थे जो भगवान शिव के शिष्य थे l चामुंडा देवी के सामने गोरखनाथ जी वज्र के समान खड़े रहे l कहते हैं दोनों महान शक्तियों में तीन वर्षों तक युद्ध चला l तीन वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद गोरखनाथ जी ने देवी चामुंडा को कीलित कर लिया और धरती से तांत्रिकों के उपद्रवों को शांत कर दिया l गोरखनाथ जी ने अपनी दिव्य द्रष्टि से देखा कि ये तांत्रिक फिर से अपनी शक्तियों को समेटकर धरती पर उपद्रव करने आयेंगे l उनका यह कथन सत्य है , आज संसार के अधिकांश देशों में तंत्र , ब्लैक मैजिक आदि अनेक तरह की नकारात्मक शक्तियों का प्रयोग होता है l ये शक्तियां पीठ पर वार करती हैं , समाज और कानून की पकड़ से बाहर होने के कारण इनका प्रयोग करने वाले समाज में शरीफ ही बने रहते हैं लेकिन ईश्वर की निगाह से कोई बच नहीं सकता , इनका अंत बहुत बुरा होता है l बाबा गोरखनाथ जी ने जब अपनी दिव्य द्रष्टि से यह देखा तो संसार को आश्वासन दिया कि इस बार इनको दण्डित करने वाला देवदूत आएगा और इनका संहार करेगा l इसी से स्रष्टि में संतुलन आएगा और सतयुगी वातावरण विनिर्मित होगा जिसकी सुगंध हजारों वर्षों वर्षों तक अनुभव की जाती रहेगी l
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