लघु कथा ---- नि :शस्त्रीकरण ------ एक चिड़ियाघर के जानवरों ने इकट्ठे होकर विचार किया कि नि:शस्त्रीकरण की नीति पर चलना चाहिए l गेंडे ने कहा --- दांत और पंजे सबसे अधिक खतरनाक होते हैं , उन पर प्रतिबन्ध लगाया जाये , सींग तो केवल रक्षा का साधन मात्र है l " भैंसा और हिरन से लेकर कांटो वाली सेई तक ने गेंडे की बात का समर्थन किया l शेर ने दांतों और पंजे को खाने और चलने का साधारण साधन बताते हुए कहा --- " सींग ही निरर्थक वस्तु है , सर्व सम्मति से सींग का प्रयोग ही निषिद्ध करा जाए l " बाघ , चीता और सियार से लेकर वन बिलाव ने इस तर्क की प्रशंसा की l रीछ की बारी आई , तो उसने कहा ---- " सींग और दांत , पंजे यह सभी हानिकारक हैं l जरुरत पड़ने पर आलिंगन करने के मित्रतापूर्ण ढंग पर छूट रखी जानी चाहिए l " जो लोग रीछ की आदत को जानते थे , वे उसकी चालाकी ताड़ गए और मन ही मन बहुत कुढ़े l अपने पक्ष का समर्थन और प्रतिपक्षी का विरोध करने के जोश में बहुत शोर मचने लगा , एक दूसरे पर गुर्राने लगे , यहाँ तक कि टूट पड़ने की बात सोचने लगे l चिड़ियाघर के मालिक ने जब यह शोर सुना तो उसने उन सबको अपने -अपने बाड़े में खदेड़ दिया और कहा ---- " मूर्खों ! तुम भलमनसाहत से अपनी -अपनी मर्यादाओं का पालन करो , तो बिना नि:शस्त्रीकरण के भी काम चल सकता है , सब जानवर शांति से रह सकते हैं l लेकिन तुम में जो शक्तिशाली है वह भी अपने हथियार को सुरक्षित रखकर दूसरे पर प्रतिबन्ध लगाकर उसे अपने आधीन करना चाहता है l l " क्रोध में मालिक ने बाड़े का दरवाजा बंद कर दिया l
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