एक राजा के अनेक शत्रु हो गए l एक रात शत्रुओं ने पहरेदारों को अपनी ओर मिला लिया और महल में जाकर राजा को दवा सुंघाकर बेहोश कर दिया l उसके बाद उन्होंने राजा के हाथ -पाँव बांधकर एक पहाड़ की गुफा में ले जाकर बंद कर दिया l राजा को जब होश आया तो अपनी दशा देखकर घबरा उठा l उस अँधेरी गुफा में उसे कुछ करते -धरते न बना l तभी उसे अपनी माता का बताया हुआ मन्त्र याद आ गया --- " कुछ कर , कुछ कर l " राजा की निराशा दूर हुई और उसने पूरी शक्ति लगाकर हाथ -पैर की डोरी तोड़ डाली l तभी अँधेरे में उसका पैर सांप पर पड़ गया जिसने उसे काट लिया l राजा फिर घबराया किन्तु फिर तत्काल ही उसे वही मन्त्र ' कुछ कर , कुछ कर ' याद आ गया l उसने तत्काल कमर से कटार निकालकर सांप के काटे स्थान को चीर दिया l खून की धार बहने से वह फिर घबरा गया लेकिन फिर उसे माँ का मन्त्र याद आ गया --' कुछ कर , कुछ कर ' उसने प्रेरणा पाकर अपने वस्त्र को फाड़ कर घाव पर पट्टी बाँध ली l अब उसे उस गुफा से बाहर निकलने की चिंता सताने लगी और भूख प्यास भी लगी थी l पुन: माँ के मन्त्र को याद कर वह उस अँधेरे में आगे बढ़ता रहा और गुफा के द्वार पर आ गया और उसके मुख पर लगे पत्थर को धक्का देने लगा l बहुत बार प्रयास करने पर आखिर वह पत्थर लुढ़क गया और राजा गुफा से बाहर निकलकर अपने महल में वापस आ गया l इस कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है कि कभी हार नहीं मानो , बार -बार गिरते हो , तो बार - बार नए हौसले के साथ उठो , हिम्मत नहीं हारो l जीवन इतना सरल नहीं है , इसमें बड़े -बड़े तूफान आते हैं , उनका डटकर सामना करो और जिन्दगी की इस जंग को जीत लो l
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