' अनेक लोग पीठ पीछे बुराई करने और सम्मुख आवभगत दिखलाने में बड़ा आनंद लेते हैं l वे समझते हैं कि संसार इतना मूर्ख है कि उनकी इस दोहरी नीति को समझ नहीं सकता l वे इस दोहरे व्यवहार पर भी समाज में बड़े ही शिष्ट एवं सभ्य समझे जाते हैं l अपने को इस प्रकार बुद्धिमान समझना बहुत बड़ी मूर्खता है l वास्तविकता छिपी नहीं रह सकती l इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा है l सामने से अच्छा व्यवहार करना और पीठ में खंजर भोंकना , ये सोच समझ कर किया गया ऐसा अपराध है जिसके लिए ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते l महाभारत में ऐसे कई प्रसंग हैं जहाँ दुर्योधन ने अपने ही भाइयों पांडवों के विरुद्ध अनेक षड्यंत्र रचे , लाक्षाग्रह में भेजकर तो वे पांडवों के जलकर मर जाने की ख़ुशी मन -ही-मन मना रहे थे l लेकिन ऐसी कुटिल नीति का अंत अच्छा नहीं होता l अपने भीतर की असुरता को मनुष्य संसार से चाहे कितना भी छुपा ले , लेकिन ईश्वर सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान है l उनसे कुछ नहीं छुपा , कर्म का फल अवश्य मिलता है l
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