19 January 2025

WISDOM ------

   इस  धरती  पर   मानव  जीवन  में  आपदाएं  विपदाएं  आती  रहती  हैं  l  कभी -कभी  इनका  रूप  बहुत  विकराल  होता  है ,  स्पष्ट  रूप  से  यह  समझ  में  आता  है  कि  प्रकृति  बहुत  क्रोधित  है  ,  किसी  तरह  उनका  क्रोध  शांत  ही  नहीं  हो  रहा  है  l  मनुष्य  अपनी  मानसिक  विकृतियों  के  कारण  अनेक  तरह  के  पापकर्म  करता  है  लेकिन  जब  कोई  भयंकर  पाप   समझदार  , सभ्रांत  और  समाज  के  सभ्य  कहे  जाने  वाले  लोगों द्वारा  सोच -समझकर  ,  समाज  से  छिपकर   निर्दोष  प्राणियों  , बच्चों और  बेसहारा  लोगों  पर  किया  जाता  है  ,  उसे  प्रकृति  सहन  नहीं  करती  l  ऐसे  पापकर्म  में  जो  भी  भागीदार  होते हैं ,  सब  जानते  हुए  चुप  रहते  हैं  ,  अपनी  शक्ति  से  उन्हें  रोकते  नहीं  बल्कि  उन्हें  और   छूट  देते  हैं  --- ऐसे   लोगों  को  प्रकृति  कभी  क्षमा  नहीं  करतीं  l  ऐसे  प्राकृतिक  प्रकोप , महामारी , भूकंप , तूफ़ान  में  गेहूं  के  साथ  घुन  भी   पिसता  है  l  जागरूक  न  होने  का  भी  दंड  मिलता  है   l    प्रकृति  को  शांत  कर  सुख  -शांति  से  जीवन  जीना   है  तो  संसार  में  मनुष्य  को  जागरूक  होना  होगा  ,  देखना  होगा  कहाँ  छोटे -छोटे  बच्चों  का  शोषण , उत्पीड़न  हो  रहा  है , कहाँ  मानव  शरीर  के  विभिन्न  अंगों  का  भी  बाजार  बना  है  ,  स्वाद  के  नाम  पर  कितने  प्राणियों  की  हत्या  हो  रही  है  ,  कम  उम्र  के  कितने  युवाओं  को  बहला -फुसलाकर  नशे  की  लत  लगाईं  जा  रही  है ---ये  सब  पापकर्म  मनुष्य  या ---- सिर्फ  अपने  लाभ  के  लिए  करता  है  l  ऐसे  ही  पापों  की  जब  अति  हो  जाती  है  तब  प्रकृति  सामूहिक  दंड  देती  है  l  कितने  ही  दंड  मिल  जाएँ  मनुष्य  सुधरता  नहीं  है  ,  वह  अपनी  ही  विकृतियों  का  गुलाम  है  ,  उसे  इन  सबकी  आदत  बन  गई  है  ,  इसी  का  नाम  संसार  है   l  भगवान  भी  अवतार  ले  लेकर  थक  गए  ,  कहाँ  तक  समझाएं  , मनुष्य  की  अक्ल  पर  परदा  पड़ा  है  l  

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