21 January 2025

WISDOM ----

  पुराण  की  विभिन्न  कथाओं  में   जीवन  के  लिए  महत्वपूर्ण  मार्गदर्शक  सिद्धांत  हैं  l  श्रद्धा  और  विश्वास  से  जब  आप  उन्हें  सुनेंगे  -पढ़ेंगे  तो  आप  को  संसार  में  होने  वाली  विभिन्न  घटनाओं  का  कारण  और  उनका  समाधान  समझ  में  आएगा  l   पुराण    में  एक  कथा  है  ---- महाभारत  का  युद्ध    समाप्त  हो  गया  , अभिमन्यु  के  पुत्र  महाराज  परीक्षित   अपनी  प्रजा   की  समस्याओं   का  समाधान  करने  की  भवना  से  नगर -भ्रमण  को  निकले  ,  मार्ग  में  उन्होंने  देखा  एक  व्यक्ति  गाय , बैल  आदि  प्राणियों  को  बहुत  बेदर्दी  से  मार  रहा  है  l  उन्होंने  उसे   इस  दुष्कर्म  के  लिए  दंड  देना  चाहा  तो  वह  हाथ  जोड़  कर  बोला  ---महाराज  मैं  कलियुग  हूँ  , द्वापर युग  समाप्त  हो  गया  ,  अब  धरती  पर   शासक  चाहे  कोई  हो  ,  मेरा  ही  राज  रहेगा  l  चारों  ओर  अत्याचार , तबाही , युद्ध  , दंगे  , निर्दोष  प्राणियों  की  हत्या ----यही  सब  अत्याचार  अब  होने  का  समय  आ  गया  l  महाराज  परीक्षित  बड़े  चिंतित  हुए  ,  उन्होंने  कहा  --- ऐसे  तो  इस  धरती  पर  रहना  मुश्किल  हो  जायेगा  ,  तुम  अपने  लिए  कोई  स्थान  निश्चित  कर  लो  l  तब  महाराज  परीक्षित  ने  कलियुग  को  रहने  के  लिए  पांच  स्थान  बताए  ,  उनमें  से  एक  था  --' स्वर्ण ' अर्थात  वर्तमान  युग  में  इसका  अर्थ  है  --अमीरी , सुख  वैभव l  कथा  है  कि  महाराज  परीक्षित  ने  जब  अपपना  स्वर्ण  मुकुट  धारण  किया  तो  कलियुग  सबसे  पहले  उन  पर  ही  चढ़  बैठा   जिससे  उनकी  बुद्धि  भ्रष्ट  हो  गई , उन्होंने  ऋषि  के  गले  में  सांप  डाल  दिया   फिर  उन्हें  ऋषि  का  श्राप  मिला  ---- ऐसे  आगे  कथा  है  l  इस  कथा  को  हम  इस  काल  के  संदर्भ  में  देखें   तो  सबसे  महत्वपूर्ण  बात  यह  है  कि  अति  की  अमीरी  ईमानदारी  से  नहीं  ,  लोगों  का  शोषण  करने  से , बेईमानी  और  भ्रष्टाचार  से  ही  आती  है ,  इसलिए  इसका  अहंकार  भी  बहुत  बड़ा  होता  है  l  जो  जितना  बड़ा  अमीर  है  वह  चाहेगा  सारी  दुनिया उसके  अनुसार चले  ,  वो  जो  चाहे  वही  लोग  खाएं ,  वो  जो  पिलाना  चाहे  वही   पिएं l  खेती , शिक्षा , चिकित्सा , महामारी  सब  उसकी  इच्छा  से  हो  l    यहाँ  तक  कि  लोगों  के  मन  पर  भी  उसका  कब्ज़ा  हो  जाए  ,  वह  लोगों  को  कठपुतली  की  तरह  नचाए  ---- इसी  में  उसका  आनंद  है  l  धन  में  बहुत  ताकत  है   ,  धनी  जैसा  चाहता  है  वैसा  होता  भी  है  l  कलियुग  एक  प्रकार  का  डीमन  है ,  एक  पिशाच  की  तरह है  ,  उसे  अपनी  खुराक  चाहिए ,  उसकी  भूख  बहुत  है  l  इसलिए  वह  धन -शक्ति  संपन्न  लोगों  के  भीतर  घुस  जाता  है  ,  उनकी  बुद्धि  भ्रष्ट  कर  के  तबाही  मचाता  है  

No comments:

Post a Comment