21 January 2025

WISDOM

   यह  संसार  गणित  से  चलता  है  l  सांसारिक  मनुष्यों  का व्यवहार  स्वार्थ पर  आधारित  है  ,  जितना   दोगे   , उतना  ही  मिलेगा  l  GIVE AND  TAKE  है  l  यही  स्वार्थ  जब  अपने  चरम  पर  पहुँच  जाता  है  ,  तब  स्वार्थी  केवल  लेता  है  ,  बदले  में  देता  कुछ  नहीं  l  यह  स्वार्थ  जब  अहंकार  से  जुड़  जाता  है  ,  तब  उसमें  बिना  बुलाए  ही  अनेक  बुराइयाँ   आती   हैं  ,  फिर  ऐसा  व्यक्ति  अपनी  ही  बुराइयों  के  ढेर  पर  बैठा  रहता  है  l  वह  अपनी  कमियों  को  देखना , समझना  ही  नहीं  चाहता  ,  तो  फिर  वे  कमियां  दूर  कैसे  हों   ?  आज  संसार  में  ऐसे  ही  लोगों  की  अधिकता  है  l  आज  लोग  एक  दूसरे  से   आत्मीयता  के  कारण  नहीं  ,  बल्कि  स्वार्थ  के  कारण  जुड़े  हैं  l  इसलिए  वे  भीड़  में  रहकर  भी  अकेले  हैं  l  उन्हें  परस्पर  किसी  का  विश्वास  भी  नहीं  है  ,  कब  किसका  स्वार्थ  टकरा  जाए   और  जिन्दगी  मुसीबतों  से  घिर  जाए  ?  जो  संसार  की  इस  रीति -नीति  को  समझता  है   वह  ईश्वर  को  ही  अपना  साथी  बना  लेता  है   और  सुख -शांति  से  सुकून  के  साथ  अपनी  जिन्दगी  जीता  है  l  

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