2 February 2025

WISDOM ----

  प्रत्येक  मनुष्य  सुख -सुविधाओं  में  जीना  चाहता  है  l  सच्ची  मेहनत  और  ईमानदारी  से  सब  काम  तो  आसानी  से  चल  जाता  है  लेकिन  वह  भोग , विलासिता  संभव  नहीं  है  l  संसार  में    हर  युग  में  ऐसे  लोग  रहे  हैं  जो  भोग -विलासिता  का  जीवन  जीने  के  लिए   अपने  से  ताकतवर  की  , सत्ता  की  , धन-वैभव  संपन्न  लोगों  की  खुशामद  में  लगे  रहते  हैं   और  जिसकी  वे  चापलूसी  करते  हैं  उसकी हर बात  में  हाँ  -में -हाँ  मिलाते  है  ,  वह  कितनी  बड़ी  गलती  करे  , कभी  उसका  विरोध  नहीं  करते  l  अधिकाधिक  सुख -भोग  की  चाहत  रखने  वालों  और  अपनी  रोजी -रोटी  चलती  रहे  ,  ऐसी  सोच  रखने  वालों  की  संख्या  बहुत  है   , इसी  कारण  अत्याचारी , अन्यायी   और  अहंकारी  को  पोषण  मिलता  है   और  उनके  ऐसे   दुर्गुणों   का  परिणाम  संसार  को  भोगना  पड़ता  है  l  विशेष  रूप  से    भीष्म  पितामह , द्रोणाचार्य  और  कृपाचार्य  जैसे  जो  आँख  बंद  कर  के  शासक  की  हर  गलत  बात  को  स्वीकार  करते  हैं  , वे  ही  महाभारत  को  जन्म  देते  हैं  l  महाभारत  काल  में  केवल  महात्मा  विदुर  ही  ऐसे  थे   जो  दुर्योधन  का  अन्न  नहीं  खाते  थे  ,  वन  के  शाक -पात  खाकर  स्वाभिमान  से  जीवन  व्यतीत  करते  थे  l  वे  हमेशा  निडरता  से  धृतराष्ट्र  को  सही  सलाह  देते  थे  ,  लेकिन   पुत्र -मोह  के  कारण  धृतराष्ट्र  उसे  अनसुना  कर  देते  थे  , इसका  परिणाम  महाभारत  का  महायुद्ध  हुआ  l  

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