एक मनुष्य किसी महात्मा के पास पहुंचा और कहने लगा ---- " महाराज जी ! जीवन थोड़े समय का है , इसमें क्या -क्या करें ? बाल्यकाल में ज्ञान नहीं रहता और युवावस्था में कुटुंब का भरण -पोषण की जिम्मेदारी और सांसारिक समस्याएं रहती हैं और बुढ़ापा ऐसा कि नींद नहीं आती और रोगों का उपद्रव बना रहता है , ऐसे में लोक -सेवा कब करें ? समय ही नहीं मिलता ! ऐसा कहकर वह उदास होकर रोने लगा l उसे रोता देख महात्मा भी रोने लगे l उस व्यक्ति ने महात्मा से पूछा ---" आप क्यों रोते हैं ? " महात्मा ने कहा --- " क्या करूँ / खाने के लिए अन्न चाहिए , अन्न उगाने के लिए जमीन चाहिए l भगवान ने जो पृथ्वी बनाई उस पर पहाड़ हैं , समुद्र , है , नदियाँ हैं , जंगल जो थोड़ी -बहुत शेष है उस पर भू -माफियों का कब्ज़ा है , मेरे लिए कोई जमीन नहीं है , मैं क्या करूँ ? भूखा न मरूँगा ! " उस व्यक्ति ने कहा --- " यह सब होते हुए भी तुम जिन्दा हो , अच्छी सेहत है ! फिर रोते क्यों हो ? " महात्मा तुरंत बोले ---- " तुम्हे भी तो यह बहुमूल्य जीवन मिला l समय ही जीवन है , जो समय का उचित प्रबंधन करते हैं , वे उसी 24 घंटे में बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं l जो आलसी हैं , काम से जी चुराते हैं , वे ही ' समय नहीं मिलता ' की रट लगाते हैं l " तुम समय का प्रबंधन कर उसका सदुपयोग करो l
No comments:
Post a Comment