ईश्वर ने इस स्रष्टि की रचना की l उन्हें यह धरती सबसे अधिक प्रिय है , वे चाहते हैं कि इस धरती पर हरियाली हो खुशहाली हो l अपनी बनाई इस सुन्दर रचना को ईश्वर क्यों नष्ट करना चाहेंगे l यह तो मनुष्य है जो हमेशा युद्ध और दंगों की बात कर के ऐसी नकारात्मकता को आमंत्रित कर लेता है l शांति और सद्भाव की बात करो तो शांति आएगी l बड़ी मुश्किल से मिले इस मानव जीवन को मनुष्य शांति और सुकून से जी सकेगा l जब तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की जाती है तो क्या मनुष्य इतना पागल और उन्मादी हो जायेगा कि सबके साथ स्वयं को और अपने ही परिवार को समाप्त कर लेगा ? यदि अभी से ऐसे पागलपन का इलाज कर लें , अहंकार त्याग दें , सब मिलकर अपने हथियारों को समुद्र में फेंक दें , अपने स्वार्थ और महत्वाकांक्षा को भूल जाएँ , जियो और जीने दो की बात करें तो युद्ध शब्द ही शब्द कोष से हट जायेगा l यह मनुष्य के हाथ में ही है कि वह अपना भविष्य वीरान और अंधकारमय देखना चाहता है या खुशहाल जिन्दगी जीना चाहता है l मृत्यु कभी भेदभाव नहीं करती , जो सबसे शक्तिशाली है या सबसे कमजोर है , एक दिन जाना सबको खाली हाथ है l मानव जाति का इतिहास युद्धों का ही इतिहास है , यह सब देखकर भी मनुष्य को अक्ल नहीं आती , बुद्धि पर ताला लगा है l इसलिए अब प्रकृति दंड देती है l ईश्वर भी कहते हैं कि हम कहाँ तक अवतार लें , यह मनुष्य बिना दंड के और बिना डंडे के नहीं सुधरेगा l जब भगवन का डंडा पड़ेगा तभी चेतना विकसित होगी , परिष्कृत होगी और तब अपने मानव जीवन का मूल्य समझ में आएगा l जब जीवन का अंत आया तब सिकंदर को समझ में आया कि विश्व विजेता बनने का स्वप्न लिए वह खाली हाथ जा रहा है l यदि यह समझ पहले ही आ जाती तो इतना खून -खराबा न होता l अभी भी वक्त है , समय रहते जाग जाओ , फिर अंत में पछताने से कुछ नहीं होता l
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