समय के परिवर्तन के साथ लोगों के विचार और मान्यताएं भी बदल जाती हैं l मनुष्य के विचार उस युग की विशेषताओं से प्रभावित होते हैं जैसे कलियुग में स्वार्थ , लालच , कामना , अहंकार , महत्वाकांक्षा की प्रधानता है , इसलिए मनुष्य के विचार और कार्य इन्ही से प्रेरित होते हैं जैसे पहले जो चक्रवर्ती सम्राट होते थे उनका सभी राज्यों पर प्रभुत्व होता था , सभी राजा उनकी आधीनता स्वीकार करते थे लेकिन वो चक्रवर्ती सम्राट उन विभिन्न राज्यों की कृषि , उद्योग , कला , संस्कृति , शिक्षा , चिकित्सा आदि किसी भी क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते थे l इससे लोगों के जीवन में संतुलन बना रहता था , उनकी संस्कृति , कला , चिकित्सा आदि सब जीवित रहती थी l लेकिन अब शक्ति के बल पर जब दूसरे देशों की कृषि , चिकित्सा , शिक्षा आदि को अपनी इच्छानुसार चलाने का प्रयास किया जाता है तो लोगों का जीवन , पर्यावरण सब असंतुलित हो जाता है क्योंकि प्रत्येक देश की मिटटी , प्राकृतिक दशाएं , संस्कृति सब भिन्न है l बर्फीले क्षेत्र के पौधे को गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में लगा दिया जाये तो क्या हाल होगा ? दुनिया के सबसे अमीर , सबसे शक्तिशाली बनने की होड़ ने जन -साधारण के जीवन का सुकून छीन लिया है l पहले देशी तरीके से कृषि उपज होती थी , सब स्वस्थ थे , कोई भयंकर बीमारी नहीं थी लेकिन अब रासायनिक खाद , कीटनाशक , रासायनिक उन्नत बीज से जो भोजन सामग्री उपलब्ध होती है उससे तो योग करने वाला , नियम संयम से रहने वाला भी बीमार है l यदि किसी तरीके से मनुष्य के विचारों में परिवर्तन हो , जियो और जीने दो ' का महत्त्व समझें l गुण -दोष तो सब में हैं , प्रत्येक देश अपनी संस्कृति को जीवित रखते हुए स्वेच्छा से दूसरे के गुणों को स्वीकार करे , अपना अहंकार छोड़ दे तब संसार में सुख -शांति होगी l
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