17 May 2025

WISDOM -----

  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' इन  दिनों  आस्था  संकट  सघन  है  l  लोग   नीति  और  मर्यादा  को  तोड़ने  पर  बुरी  तरह  उतारू  हैं  l  फलत:  अनाचारों  की  वृद्धि  से   अनेकों  संकटों  का  माहौल  बन  गया  है  l   न  व्यक्ति  सुखी  है  ,   न  समाज  में  स्थिरता  है  l  समस्याएं  , विपत्तियाँ  ,  विभीषिकायें  निरंतर  बढ़ती  जा  रही  हैं  l  स्थिर  समाधान  के  लिए  जनमानस  के  द्रष्टिकोण  में  परिवर्तन  ,  चिन्तन  का  परिष्कार   और  सत्प्रवृत्तियों  का  संवर्धन  ,  यही  प्रमुख  उपाय  है  l  "  आध्यात्मिक  मनोविज्ञानी  कार्ल  जुंग  की  यह   दृढ  मान्यता  थी  कि  ---- "   मनुष्य  की  धर्म , न्याय  और  नीति  में   अभिरुचि  होनी  चाहिए  l  उसके  लिए  वह  सहज  वृत्ति  है  l  यदि  इस  दिशा  में  प्रगति  न  हो  पाई  तो   अंततः  मनुष्य  टूट  जाता  है   और  उसका  जीवन  निस्सार  हो  जाता  है  l  "           आचार्य  जी  लिखते  हैं  -----"   ऊंट  को  नकेल  से  , घोड़े  को   लगाम  से  ,  बैल  को  डंडे  से  और  हाथी  को  अंकुश   के  सहारे  वश  में  किया  जा  सकता  है  l  ईश्वर  विश्वास  और  आस्तिकता  की  भावना   मनुष्य  की  दूषित   प्रवृत्तियों  पर  अंकुश  लगाती  है  l  "

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