23 May 2025
WISDOM ------
संसार में इतना तनाव और असंतुलन क्यों है ? क्योंकि अब संसार में 'धन ' को सबसे अधिक महत्त्व दिया जाने लगा l धन जीवन के लिए जरुरी है , लेकिन जब धन ही सब कुछ हो जाये तो उसके दुष्परिणाम दिखाई देने लगते हैं l एक समय था जब सेठ -साहूकार अपने राज्य की सुद्रढ़ शासन व्यस्था और विदेशी आक्रमणों से रक्षा के लिए नि:स्वार्थ भाव से आर्थिक सहयोग करते थे l लेकिन समय का पहिया ऐसा घूमा कि बड़े -बड़े पूंजीपतियों के मन -मस्तिष्क में यह विचार आने लगा कि जब हम इतना आर्थिक सहयोग कर रहे हैं , शासन कार्य में , चुनाव आदि में अपनी पूंजी का बहुत बड़ा भाग दे रहे हैं तो शासन की नीतियों में , निर्णय में उनकी हुकूमत होनी चाहिए l इस विचार ने ही संसार में असंतुलन ला दिया l प्रत्येक व्यक्ति की योग्यता भिन्न -भिन्न है l एक व्यक्ति जो लोहार का काम कुशलता से कर सकता है , यदि उसे लकड़ी से फर्नीचर बनाने का काम दे दिया जाए , तो वह उसमें न ही कुशल होगा , लकड़ी को काट -पीट कर बिगाड़ देगा l धन -संपदा कमाना व्यापारिक बुद्धि का काम है l यदि व्यापार करने की कुशलता है तो व्यक्ति मरे चूहे का सौदा कर के भी अरबपति बन सकता लेकिन जब ऐसी व्यापारिक बुद्धि शासन के नीति -निर्णय में दखल देती है तो ऐसे शासन के सारे विभाग ----शिक्षा , चिकित्सा , कृषि , उद्योग , कला ------ आदि सब व्यापार बन जाते हैं l केवल आंकड़ों में कार्य होता है और आंकड़े कभी सच नहीं बोलते l सब ढोल में पोल होता है l आज सारे संसार में धन का साम्राज्य है , धन के बल पर अब भगवान बनने की होड़ है l पर्यावरण असंतुलन जब बहुत बढ़ जाता है तब प्रकृति क्रोधित होती है , प्रकृति के क्रोध से बचना कठिन है l असंतुलन चाहे प्रकृति में हो या व्यक्ति के जीवन में , यदि उसे समय रहते सुधारा न जाए तो वह बहुत कष्टकारी होता है l कोई बाहर से किसी को मिटाने नहीं आता , अपनी करनी से व्यक्ति स्वयं मिट जाता है l
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