जीवन में प्रकाश देने वाले सभी दीप बुझ जाएँ , किन्तु मनुष्य के अन्तर में अपने विश्वास की ज्योति जलती रहे तो वह गहन अंधकार में भी अपना पथ स्वयं ढूंढ निकालेगा l
अहंकार और आत्मविश्वास में बड़ा अंतर है l अहंकार का आधार भौतिक पदार्थ और मनोविकार होते हैं l यह शोषण , निर्दयता और पीड़ा का कारण बनता है l हिटलर , मुसोलिनी , तैमूरलंग, नादिरशाह आदि में यही था जो उनके और जन समाज के लिए अहितकर सिद्ध हुआ l
ईश्वर विश्वास ही आत्मविश्वास है l आत्मविश्वास की इस ज्योति को जलाने और प्रज्वलित रखने के लिए मनुष्य का अपने विकारों , चिंता , भय आदि पर नियंत्रण जरुरी है l यदि मनुष्य इन विकारों में जकड़ा हुआ है तो वह पराधीन है , ऐसी पराधीनता में आत्मविश्वास नहीं होता l जब मनुष्य अपने मन को नियंत्रण में रखता है तभी वह आत्मविश्वास की शक्ति को पाता है और इससे मनुष्य की साधारण शक्तियां असाधारण बन जाती हैं l
स्वामी विवेकानन्द ने अपने अनुभवों के आधार पर इसकी महत्ता बताते हुए श्री ई. टी. स्टरडी को एक पत्र में लिखा था ---- " हमारे गुरुदेव के शरीर त्याग के बाद हमलोग बारह निर्धन और अज्ञात नवयुवक थे l हमारे विरुद्ध अनेक शक्तिशाली संस्थाएं थीं जो हमें नष्ट करने का भरसक प्रयत्न कर रहीं थीं l परन्तु श्री रामकृष्ण देव ने हम सबके भीतर जो आत्मविश्वास की ज्योति जलाई थी उसके प्रभाव से सारे अंधकार नष्ट हो गए और प्रभु की शिक्षाएं दावानल की तरह फैल रही हैं l "
आत्मविश्वास से बाधाएं भी मंजिल पर पहुँचने वाली सीढियाँ बन जाती हैं l प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु पौधों में जीवन है , इस प्रतिपादन को इंग्लैंड की वैज्ञानिक मंडली के सम्मुख प्रयोग द्वारा सिद्ध करने जा रहे थे l कुछ ईर्ष्यालु लोगों ने तीक्षण जहर पोटेशियम सायनाइड की जगह सामान्य चूर्ण रख दिया l चूर्ण के घोल की सुई पौधे में इंजेक्ट करने पर कोई असर नहीं हुआ , तब उन्होंने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा --- 'यदि इससे पौधा नहीं मरता है तो मैं भी नहीं मरूँगा और सारा चूर्ण खा गए l ईर्ष्यालुओं का मुख लज्जा से नत हो गया l असली पोटेशियम सायनाइड लाया गया और उन्होंने सफल प्रयोग कर के दिखा दिया l
अहंकार और आत्मविश्वास में बड़ा अंतर है l अहंकार का आधार भौतिक पदार्थ और मनोविकार होते हैं l यह शोषण , निर्दयता और पीड़ा का कारण बनता है l हिटलर , मुसोलिनी , तैमूरलंग, नादिरशाह आदि में यही था जो उनके और जन समाज के लिए अहितकर सिद्ध हुआ l
ईश्वर विश्वास ही आत्मविश्वास है l आत्मविश्वास की इस ज्योति को जलाने और प्रज्वलित रखने के लिए मनुष्य का अपने विकारों , चिंता , भय आदि पर नियंत्रण जरुरी है l यदि मनुष्य इन विकारों में जकड़ा हुआ है तो वह पराधीन है , ऐसी पराधीनता में आत्मविश्वास नहीं होता l जब मनुष्य अपने मन को नियंत्रण में रखता है तभी वह आत्मविश्वास की शक्ति को पाता है और इससे मनुष्य की साधारण शक्तियां असाधारण बन जाती हैं l
स्वामी विवेकानन्द ने अपने अनुभवों के आधार पर इसकी महत्ता बताते हुए श्री ई. टी. स्टरडी को एक पत्र में लिखा था ---- " हमारे गुरुदेव के शरीर त्याग के बाद हमलोग बारह निर्धन और अज्ञात नवयुवक थे l हमारे विरुद्ध अनेक शक्तिशाली संस्थाएं थीं जो हमें नष्ट करने का भरसक प्रयत्न कर रहीं थीं l परन्तु श्री रामकृष्ण देव ने हम सबके भीतर जो आत्मविश्वास की ज्योति जलाई थी उसके प्रभाव से सारे अंधकार नष्ट हो गए और प्रभु की शिक्षाएं दावानल की तरह फैल रही हैं l "
आत्मविश्वास से बाधाएं भी मंजिल पर पहुँचने वाली सीढियाँ बन जाती हैं l प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु पौधों में जीवन है , इस प्रतिपादन को इंग्लैंड की वैज्ञानिक मंडली के सम्मुख प्रयोग द्वारा सिद्ध करने जा रहे थे l कुछ ईर्ष्यालु लोगों ने तीक्षण जहर पोटेशियम सायनाइड की जगह सामान्य चूर्ण रख दिया l चूर्ण के घोल की सुई पौधे में इंजेक्ट करने पर कोई असर नहीं हुआ , तब उन्होंने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा --- 'यदि इससे पौधा नहीं मरता है तो मैं भी नहीं मरूँगा और सारा चूर्ण खा गए l ईर्ष्यालुओं का मुख लज्जा से नत हो गया l असली पोटेशियम सायनाइड लाया गया और उन्होंने सफल प्रयोग कर के दिखा दिया l
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