5 January 2021

WISDOM ---- हमें कभी किसी का अहित नहीं करना चाहिए

 जीवन  में  हम  से  जाने - अनजाने  अनेक  गलतियां  हो  जाती  हैं  l  लेकिन  जान बूझकर   कभी     किसी  का  अहित   नहीं  करना  चाहिए  l ----- जब  गौतम  बुद्ध  श्रावस्ती  विहार  कर  रहे  थे   तो  महापाल  नामक  व्यापारी  उनके  प्रवचनों  से  अत्यंत  प्रभावित  हुआ  l  वह  अपना  घर  छोड़कर   बुद्ध  से  दीक्षा  लेकर   एक  गाँव  में  त्राटक  साधना  में  निमग्न  रहता  ,  इसलिए  उसके  बाह्य  चक्षु  प्रकाशविहीन  हो  गए   l   अब  लोग  उसे  चक्षुपाल   कहने  लगे  l   तथागत  चक्षुपाल   के  जीवन  को  पवित्र  बताया  करते  थे  l   एक  बार  किसी  शिष्य  ने   बुद्ध  से  पूछा  ---- " यदि  चक्षुपाल   का  जीवन  पवित्र  है   तो  वह  अँधा  कैसे  हो  गया  ? "    बुद्ध  बोले  ----- " पूर्वजन्म  में  चक्षुपाल  वैद्य  था   l   एक  बार  एक  अंधी  महिला  उसके  पास  दवा  मांगने  आई    और  यह  कहा  कि   यदि   उसे   अंधेपन   से  मुक्ति  मिल  गई   तो  वह  उसकी  दासी  बनना  स्वीकार  कर  लेगी   l   वैद्य  की  दवा  से  उसके  नेत्र  ठीक  हो  गए   ,  लेकिन  वचन  याद  आने  पर   उसने  वैद्य  से  झूठ  कह  दिया   कि   नेत्र  ठीक  नहीं  हुए  हैं  l   वैद्य  को  अपनी  दवा  पर  भरोसा  था    लेकिन उसका  क्रोध   जाग्रत हो  गया   और  मन  में  बदले  की  भावना  आ  गई  l   फिर  उसने  जानबूझकर  उस  स्त्री   को दण्डित  करने  के  लिए    उसे  अंधे  होने  की  दवा   दे  दी  l   वह  वैद्य  था  और  जानता   था  कि  उस  दवा  से  वह  पुन:  अंधी  हो  जाएगी  ,  वह  अपने  पवित्र  व्यवसाय  से  ही  बेईमानी  कर  बैठा  l   इसी  पाप  के  परिणाम स्वरुप  चक्षुपाल  इस  जन्म  में  अँधा   हुआ है  l    हमें  कभी  किसी   का अहित  नहीं  करना  चाहिए   l 

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