महात्मा गाँधी देश की नब्ज को सबसे अधिक पहिचानते थे उन्होंने चुन - चुन कर ऐसे कार्यक्रम चालू किये थे जिनसे देश का सार्वजनिक विकास हो । वे जानते थे कि केवल राजनीतिक आन्दोलन से स्वराज्य नहीं मिलेगा और यदि वह किसी प्रकार मिल जाये तो उससे लाभ नहीं उठाया जा सकता । जब तक यहाँ के स्त्री - पुरुषों में अनेक प्रकार के दोष बने रहेंगे , जब तक हानिकारक रूढ़ियों से उनका पिण्ड नहीं छूटेगा , तब तक प्रगति के पथ पर वे कदापि अग्रसर नहीं हो सकते । इसलिए उन्होंने महिलाओं की जागृति , अछूतोद्धार , सादा रहन - सहन , धार्मिक उदारता , श्रमजीवियों से सद्व्यवहार आदि अनेक लोक हितकारी प्रवृतियों को जन्म दिया था और उनके माध्यम से भारतीय जनता को सशक्त तथा कर्तव्य परायण बनाने का प्रयत्न किया था ।
महात्मा गाँधी का कहना था कि---- जीवन की दो सबसे बड़ी और दैनिक आवश्यकताएं ----- भोजन और वस्त्र के सम्बन्ध में मनुष्य पूर्ण स्वावलंबी हो सके तो उसके कष्ट और परेशानियों का बहुत कुछ अंत हो सकता है ।
महात्मा गाँधी का कहना था कि---- जीवन की दो सबसे बड़ी और दैनिक आवश्यकताएं ----- भोजन और वस्त्र के सम्बन्ध में मनुष्य पूर्ण स्वावलंबी हो सके तो उसके कष्ट और परेशानियों का बहुत कुछ अंत हो सकता है ।
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