' व्यक्ति चाहे तो व्यावसायिकता के साथ भी ध्येय, निष्ठा जोड़कर देश और समाज का बहुत बड़ा हित कर सकता है । ' जी. ए. नटेशन ने प्रकाशन कों व्यवसाय और समाज व राष्ट्र की सेवा का ध्येय पथ स्वीकारते हुए एक आदर्श उपस्थित किया ।
इनका जन्म 1873 में त्रिचनापल्ली में हुआ था । बी.ए. , एल.एल.बी. करने के बाद जब व्यवसाय करने का प्रश्न उपस्थित हुआ तो उन्होंने सोचा कि व्यवसाय को कुछ इस तरीके से किया जाये कि व्यवसाय के साथ सेवा भी हो जाये ।
वे प्रकाशन व्यवसाय के साथ ही भारतीय जन-मानस में राष्ट्रीय व राजनैतिक चेतना जगाने का काम करना चाहते थे । जनता में राजनैतिक चेतना जगाना उन दिनों की सबसे बड़ी आवश्यकता थी । इसे पूरा करने के लिए नटेशन-एंड-कम्पनी ने ऐसी सुन्दर और सस्ती पुस्तकें छापने का निश्चय किया जिनका ध्येय भारतीय जनता को शिक्षित करना, उनमे राजनीतिक चेतना जगाना था स्वामी विवेकानंद के भाषणों का संग्रह भी सर्वप्रथम उन्ही के द्वारा प्रकाशित किया गया
मिसेज ऐनीबेसेंट द्वारा सम्पादित की गई अंग्रेजी भगवद्गीता से उन्होंने प्रकाशन क्षेत्र में कीर्तिमान
स्थापित किया था । इस पुस्तक की दस लाख प्रतियाँ बिकी थीं, जो उस समय प्रकाशन के क्षेत्र में अनुपम उपलब्धि मानी जाती है । इसके अतिरिक्त उनका अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशन देश के अग्रगण्य नेताओं की जीवनियों का प्रकाशन था जो चवन्नी सिरीज के नाम से जाना जाता था ।
उन्होंने कम मुनाफे पर ऐसा साहित्य छापा जिसकी उस समय बहुत बड़ी आवश्यकता थी, उनकी इस सूझ-बूझ ने उन्हें स्मरणीय बना दिया । 1900 में उन्होंने 'इण्डियन रिव्यु ' नामक अंग्रेजी पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया । यह पत्र थोडे ही दिनों में उस समय का सर्वाधिक लोकप्रिय पत्र बन गया । उन्होंने अपने प्रकाशनों द्वारा समय की बहुत बड़ी आवश्यकता को पूरा किया था ।
इनका जन्म 1873 में त्रिचनापल्ली में हुआ था । बी.ए. , एल.एल.बी. करने के बाद जब व्यवसाय करने का प्रश्न उपस्थित हुआ तो उन्होंने सोचा कि व्यवसाय को कुछ इस तरीके से किया जाये कि व्यवसाय के साथ सेवा भी हो जाये ।
वे प्रकाशन व्यवसाय के साथ ही भारतीय जन-मानस में राष्ट्रीय व राजनैतिक चेतना जगाने का काम करना चाहते थे । जनता में राजनैतिक चेतना जगाना उन दिनों की सबसे बड़ी आवश्यकता थी । इसे पूरा करने के लिए नटेशन-एंड-कम्पनी ने ऐसी सुन्दर और सस्ती पुस्तकें छापने का निश्चय किया जिनका ध्येय भारतीय जनता को शिक्षित करना, उनमे राजनीतिक चेतना जगाना था स्वामी विवेकानंद के भाषणों का संग्रह भी सर्वप्रथम उन्ही के द्वारा प्रकाशित किया गया
मिसेज ऐनीबेसेंट द्वारा सम्पादित की गई अंग्रेजी भगवद्गीता से उन्होंने प्रकाशन क्षेत्र में कीर्तिमान
स्थापित किया था । इस पुस्तक की दस लाख प्रतियाँ बिकी थीं, जो उस समय प्रकाशन के क्षेत्र में अनुपम उपलब्धि मानी जाती है । इसके अतिरिक्त उनका अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशन देश के अग्रगण्य नेताओं की जीवनियों का प्रकाशन था जो चवन्नी सिरीज के नाम से जाना जाता था ।
उन्होंने कम मुनाफे पर ऐसा साहित्य छापा जिसकी उस समय बहुत बड़ी आवश्यकता थी, उनकी इस सूझ-बूझ ने उन्हें स्मरणीय बना दिया । 1900 में उन्होंने 'इण्डियन रिव्यु ' नामक अंग्रेजी पत्र का प्रकाशन आरम्भ किया । यह पत्र थोडे ही दिनों में उस समय का सर्वाधिक लोकप्रिय पत्र बन गया । उन्होंने अपने प्रकाशनों द्वारा समय की बहुत बड़ी आवश्यकता को पूरा किया था ।
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